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Jharkhand: बाप-बेटे पर लाखों रुपये ठगने का आरोप, फिर भी नहीं हो रही कार्रवाई

बोकारो के कसमार के रहने वाले शीतल समीर चौबे और उनके पिता संजय चौबे पर पर दिल्ली, मध्य प्रदेश, हरियाणा और झारखंड में दर्जनों लोगों से करोड़ों रुपये की ठगी करने का आरोप है. इन जगहों पर दोनों के खिलाफ धोखाधड़ी के कई मामले दर्ज हैं. इसके बाद भी इन पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है.

कृष्णकांत सिंह

Bokaro News: पैसे की गड़बड़ी के आरोप में अपने ही पेट्रोल पंप के मैनेजर और उसके परिवार के छह सदस्यों को तीन दिन तक बंधक बनाकर प्रताड़ित करनेवाला शीतल समीर चौबे एक बार फिर चर्चा में है. एक ओर जहां वह खुद को कंस्ट्रक्शन कंपनी का मालिक और रियल एस्टेट कारोबारी बताता है. वहीं दूसरी ओर उसका पिता संजय चौबे का कथारा में उर्मिला सर्विस स्टेशन के नाम से पेट्रोल पंप है. वह जेवीएम का पदाधिकारी रह चुका है और वर्तमान में भाजपा से जुड़ा है. पिता-पुत्र पर दिल्ली, मध्य प्रदेश, हरियाणा और झारखंड में दर्जनों लोगों से करोड़ों रुपये की ठगी करने का आरोप है. इन जगहों पर दोनों के खिलाफ धोखाधड़ी के कई मामले दर्ज हैं. वैसे ये मूल रूप से कसमार के रहनेवाले हैं, लेकिन वर्तमान में बोकारो और दिल्ली में भी ठिकाना है.

जानिए शीतल चौबे व संजय चौबे के बारे में

करीब 27 साल के शीतल समीर चौबे पर आरोप है कि कुछ दिनों पहले इसने अपने ही पेट्रोल पंप के मैनेजर व उसके परिवार के छह लोगों को पैसे की गड़बड़ी के आरोप में तीन दिन तक बंधक बनाकर प्रताड़ित करता रहा. संयोग था कि समय पर बोकारो पुलिस को जानकारी मिल गयी और परिवार रिहा हो गया. फिलहाल आरोपियों को पुलिस ने पीआर बांड पर यह कहते हुए छोड़ दिया है कि मामले की जांच की जा रही है. यदि इनके खिलाफ आरोप साबित होता है तो कार्रवाई की जायेगी. वहीं दूसरी ओर संजय चौबे पर बोकारो के अलावे अन्य राज्यों में कारोबार के नाम पर अपनी कंस्ट्रक्शन कंपनी में निवेश कराने और लाखों रुपये नकद लेकर नहीं देने का आरोप है.

कारोबार के नाम पर पंप मालिक से लिया 34 लाख रुपये

जानकारी के मुताबिक संजय चौबे पर जिन लोगों को ठगने का आरोप है, उनमें गोमिया निवासी कारोबारी सुनील सिंह का भी नाम है. सुनील सिंह का चंद्रपुरा में पम्मी पेट्रोल पंप है और संजय भी पंप का मालिक है. लिहाजा दोनों के बीच कारोबार को लेकर लेन-देन होता रहता था. दो साल पहले संजय ने सुनील से कहा कि उसे पैसे की जरूरत है. उसने एचडीएफसी बैंक से डेढ़ करोड़ रुपये लोन लेने के लिए आवेदन दिया है. लोन पास होते ही पैसा वापस कर देगा. इस बात पर भरोसा करके सुनील सिंह ने 15 फरवरी 20 को 11 लाख, 14 अक्तूबर 20 को चार लाख, आठ जनवरी 21 को तीन लाख, 19 नवंबर 21 को चार लाख और 30 दिसंबर 21 को पांच लाख और अंत में सात लाख नगद यानी अलग-अलग किस्त में 34 लाख रुपये दे दिया. संजय ने पैसा वापस करने के एवज में एसबीआइ का चेक दिया, जो बाउंस कर गया. जांच करने पर पता चला कि जिस बैंक का चेक दिया था, वो खाता काफी पहले बंद हो चुका है.

सेवानिवृत्त अधिकारी से चार लाख रुपये ले लिया

कारोबार के नाम पर पंप मालिक संजय चौबे ने कथारा कोलियरी से सेवानिवृत्त हुए जैकब राफेल को शिकार बनाया. करीब 17 साल पहले संजय ने उनसे यह कहते हुए चार लाख रुपये लिया कि उसे पेट्रोल पंप के लिए जरूरत है. बहुत जल्द वह पैसा लौटा देगा. इसके बाद जैकब ने विश्वास करते हुए तीन बार में (एक लाख, एक लाख और दो लाख) चार लाख रुपये दे दिया. बदले में संजय ने चेक दिया, जो बाउंस कर गया. हैरत यह कि जब जैकब ने कोर्ट में केस किया, तो संजय के खिलाफ तमाम सबूत नष्ट कर दिये गये. इसके बाद 25 फरवरी, 22 को आरटीआइ के माध्यम से जानना चाहा कि परिवाद पत्र संख्या 45/05 में साक्षी अनिल कुमार प्रसाद, तनवीर जाहिद व एक अन्य अभियुक्त का जमानत आवेदन पत्र कैसे गायब हो गये, लेकिन अब तक जवाब नहीं मिला है. लिहाजा, न्याय के लिए जैकब के बेटे अनिल साह ने हाइकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है.

पार्टनरशिप का लालच देकर निवेश कराया 75 लाख रुपये

2021 में इंदौर (मध्य प्रदेश) में एक कार्यक्रम में शीतल समीर चौबे की मुलाकात वहां के भाजयुमो के प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य विवेक यादव पिता जगदीश यादव मूल निवासी जिला बड़वानी से हुई. पहली ही मुलाकात में उसे झांसे में ले लिया. फिर अपने पिता से मिलवाया. संजय ने बताया कि कई केंद्रीय मंत्रियों से उसके पुराने संबंध हैं और उसे उर्मिला कंस्ट्रक्शन के नाम से रोड निर्माण संबंधी पांच करोड़ का काम मिला है. यदि वह (विवेक) उसके काम में निवेश करता है, तो लाभ का 50 प्रतिशत करीब 50 लाख रुपये देगा. लेकिन इसके लिए 75 लाख रुपये निवेश करना होगा. इसके बाद उर्मिला कंस्ट्रक्शन के एक्सिस बैंक (खाता संख्या 917020078227832) और संजय की पत्नी नीलम चौबे के पीएनबी लाजपत नगर नयी दिल्ली (खाता संख्या 0992000100471595) सहित अन्य माध्यम से करीब 75 लाख रुपये ले लिया. जब काम नहीं हुआ तो विवेक ने पैसा मांगा. इस पर मंत्री से संबंध का धौंस दिखाते हुए जान मारने तक की धमकी दी गयी.

डीजीपी को लिखे पत्र में क्या कहा था तत्कालीन डीआइजी ने

गौरतलब है कि संजय चौबे द्वारा की गयी ठगी के खिलाफ दर्जनों लोगों ने 23 अक्तूबर 2007 को ही तत्कालीन डीआइजी अनुराग गुप्ता से मिलकर शिकायत की थी. इसके बाद श्री गुप्ता ने डीजीपी को पत्राचार कर बताया था कि संजय चौबे ने किन-किन लोगों से कितने पैसे की ठगी की है. बड़ी बात यह कि तत्कालीन बोकारो एसपी प्रिया दुबे से भी मिलकर पीड़ित लोगों ने कार्रवाई की मांग की थी, लेकिन नतीजा कुछ खास नहीं निकला. पीड़ित लोगों में से कुछ ने तो प्राथमिकी दर्ज करायी, लेकिन कुछ ने संजय के डर से मुंह बंद रख लिया.

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