आतशी को जो प्रबंधन ने पत्र सौपा है उसके तहत एक वर्ष का प्रशिक्षण व एक वर्ष अस्थायी तौर पर काम करने के बाद उन्हें प्रोबेशन अवधि के बाद कंपनी में स्थायी किया जाएगा. यही स्कीम टाटा मोटर्स के स्थायी कर्मचारी धीरेंद्र कुमार के आश्रित पुनीता सिंह को भी दी गयी है. इस संबंध में आतशी दत्ता, मृतक अप्पू दत्ता की पत्नी ने बताया कि पहले मुझे उम्मीद नहीं थी कि कंपनी में स्थायी नौकरी मिलेगी. लेकिन दूसरी घटना घटने के बाद जब प्रबंधन ने धीरेंद्र के आश्रित को नौकरी दी तो उम्मीद जगी.
यूनियन नेता घर आकर आश्वासन देकर गये थे. टाटा मोटर्स में विभिन्न राजनीतिक दलों व टेल्को वर्कर्स यूनियन द्वारा किए गए आंदोलन का ही नतीजा है कि 11 दिनों के बाद अप्पू दत्ता के आश्रित को कंपनी में स्थायी नौकरी मिली. अप्पू दत्ता की मौत के बाद पहले प्रबंधन स्थायी नौकरी के बदले मृतक के आश्रित को भविष्य कल्याण योजना (बीकेवाइ) देने पर सहमति बना चुका था. लेकिन 13 अप्रैल को धीरेंद्र सिंह की मौत और राजनीतिक पार्टियों द्वारा किये गये हंगामे के बाद उनके आश्रित को नौकरी मिली. इस पर टीएमएल एंड ड्राइव लाइन यूनियन ने भी अप्पू दत्ता के आश्रित को भी नौकरी दिए जाने की मांग प्रबंधन से की थी.