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शॉर्टकट से नहीं आते हैं अच्छे अंक

शॉर्टकट से नहीं आते हैं अच्छे अंक विराली पीयूष मेहता मार्क्स : 95.5 प्रतिशत रैंक : स्कूल थर्ड टॉपर संकाय : कॉमर्स स्कूल : कारमेल जूनियर कॉलेज, सोनारी बोर्ड : आइएससीमाता-पिता : मोना मेहता व पीयूष मेहता लाइफ रिपोर्टर @ जमशेदपुर परीक्षा में अच्छा करने के लिए कोई शॉर्ट कट नहीं होता. आपको पूरे साल […]

शॉर्टकट से नहीं आते हैं अच्छे अंक विराली पीयूष मेहता मार्क्स : 95.5 प्रतिशत रैंक : स्कूल थर्ड टॉपर संकाय : कॉमर्स स्कूल : कारमेल जूनियर कॉलेज, सोनारी बोर्ड : आइएससीमाता-पिता : मोना मेहता व पीयूष मेहता लाइफ रिपोर्टर @ जमशेदपुर परीक्षा में अच्छा करने के लिए कोई शॉर्ट कट नहीं होता. आपको पूरे साल पढ़ायी करनी होती है और रेगुलर रहने से ही सफलता मिलती है. मैंने इस बात को फॉलो किया. आप चाहेंगे कि परीक्षा से तीन-चार महीने पहले पढें और अच्छा स्कोर कर लें, यह नहीं हो सकता. आप पास कर सकते हैं, लेकिन टॉपर की सूची में आने के लिए मेहनत करनी होगी. प्री बोर्ड के बाद हो गयी थी सीरियसमैं क्लास में शुरू से ही रेगुलर रही. क्लास में पढ़ाये गये पाठ को घर पर रोज दोहराती थी. इस दौरान कहीं दिक्कत होने पर उसे नोट कर अगले दिन टीचर से पूछ लेती थी. प्री बोर्ड तक मेरा यही रूटीन रहा. प्री बोर्ड जब नजदीक आ गया तो मैंने टीवी देखना, मस्ती के ख्याल से कहीं बाहर जाना आदि छोड़ दिया. इसके बाद मैं परीक्षा को लेकर सीरियस हो गयी. सहायक होता है प्री बोर्ड मैं अनुभव के अाधार पर कह सकती हूं कि स्कूल में होने वाले प्री बोर्ड और अन्य टर्म एग्जाम बोर्ड परीक्षा में काफी सहायक होते हैं. इन परीक्षाओं की अगर आप तैयारी करते हैं तो स्वत: बोर्ड परीक्षा की तैयारी हो जाती है. अंतिम समय में किसी तरह की दिक्कत नहीं होती. दरअसल, ये छोटी-छोटी परीक्षाएं आपको पढ़ने का मौका देती हैं. मैंने हर परीक्षा को सीरियसली लिया था. मैं प्री बोर्ड से पहले घर पर पांच-छह घंटे पढ़ती थी. इस दौरान हर तरह के डाउट्स को क्लीयर करने की कोशिश करती थी. इस तरह मेरी तैयारी अच्छी होती चली गयी. बड़े काम के होते हैं नोट्स मैंने हर विषय का खुद का नोट्स बनाया था. हर अध्याय के मुख्य बिंदु को नोट करना, महत्वपूर्ण प्रश्नों के जवाब आदि का शॉर्ट नोट बना लिया था. इसे एक बार पलट लेने पर अध्याय की हर बात स्पष्ट हो जाती थी. ये नोट्स परीक्षा के नजदीक आने पर बड़े काम अाये. पाठ्य पुस्तक पर किया था फोकस मैंने पाठ्य पुस्तक पर फोकस किया था. मेरे हिसाब से आप अलग-अलग किताबें पढेंगे तो ज्यादा कंफ्यूज होंगे. इसलिए पाठ्य पुस्तक पर ही फोकस करना चाहिए. मैंने ग्रुप में भी पढ़ायी की थी. इसमें आप कई चीजों को बहुत कम समय में समझ जाते हैं. आपके डाउट क्लीयर हो जाते हैं. मैथ्स व अकाउंट्स पर दिया अधिक ध्यान तैयारी के दौरान मुझे मैथ्स और अकाउंट्स में थोड़ी दिक्कत हुई. दोनों ही विषय पर मैंने अधिक समय देना शुरू किया. किसी तरह का डाउट होने पर स्कूल जाकर टीचर से पूछ लेती थी. बार-बार अभ्यास करने से इसकी तैयारी भी अच्छी हो गयी. अब मैं मुंबई से बैचलर ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज कर रही हूं. आगे एमबीए कर नौकरी करने की योजना है. बात पते की -परीक्षा के लिए लक्ष्य तय कर लें -इधर-उधर न भटकें, पाठ्य पुस्तक पर ध्यान दें -हर परीक्षा की अच्छे से तैयारी करें

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