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वन विभाग बना रहा अपना चेक नाका

वन पदाधिकारियों की गले की फांस बना सेल का टीआर गेट रिजर्व वन क्षेत्र में जाने के लिए भी लेने होती है अनुमति फोटो22 केबीआर 1 – सेल के लीज क्षेत्र के बाहर बना टीआर गेट.22 केबीआर 2 – किरीबुरू खदान का सबसे पुराना टीआर गेट जो अस्तित्व में नहीं.संवाददाता, किरीबुरूसेल किरीबुरू खदान के लीज […]

वन पदाधिकारियों की गले की फांस बना सेल का टीआर गेट रिजर्व वन क्षेत्र में जाने के लिए भी लेने होती है अनुमति फोटो22 केबीआर 1 – सेल के लीज क्षेत्र के बाहर बना टीआर गेट.22 केबीआर 2 – किरीबुरू खदान का सबसे पुराना टीआर गेट जो अस्तित्व में नहीं.संवाददाता, किरीबुरूसेल किरीबुरू खदान के लीज क्षेत्र से बाहर रिजर्व वन क्षेत्र में बना टीआर (टाउन रोड) गेट वन पदाधिकारियों के लिए परेशानी का सबब बन गया है. यहां घुसने के लिए वन पदाधिकारियों को ही सीआइएसएफ जवानों से अनुमति लेनी पड़ती है. इससे परेशान वन विभाग टीआर गेट के स्थान पर अपना चेकनाका बना रहा है. रेंजर एके चौधरी ने बताया कि टीआर गेट सेल के लीज क्षेत्र के बाहर व रिजर्व वन क्षेत्र में है. सेल लीज क्षेत्र के बाहर बिना अनुमति चेक गेट नहीं लगा सकता. जहां सेल का टीआर गेट है, वहां वाहनों की जांच व आने-जाने की अनुमति देने का कार्य वन विभाग का है. लेकिन हमें ही अनुमति लेनी पड़ रही है. सेल के किरीबुरू व मेघाहातुबुरू खदान में जाने का अपना-अपना अलग चेकनाका है एवं खदान प्रबंधन का सारा सामान खदान के अंदर है. ऐसे में टाउनशिप एरिया या बाहर गेट लगाने का कोई औचित्य नहीं है. पूर्व में दोनों खदानों का अलग-अलग टाउनगेट था, लेकिन मैन पावर की कमी की वजह से लीज क्षेत्र के बाहर संयुक्त गेट बना दिया गया है. वन विभाग जब अपना चेकनाका बनायेगा, तब टीआर गेट को हटाना होगा.

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