जमशेदपुर: टाटा स्टील कर्मियों के लंबित वेज रिवीजन समझौता को अंतिम रुप देने की कोशिश चल रही है. बताया जाता है कि एमडी और वीपी स्तर पर बातचीत फाइनल हो चुकी है. महामंत्री बीके डिंडा के शहर से बाहर होने के कारण अंतिम मुहर नहीं लग पायी है. सोमवार को वार्ता होगी. सूत्रों के मुताबिक, छह साल का समझौता करने को मैनेमजेंट और यूनियन दोनों तैयार हैं. महंगाई भत्ता (डीए) और तीन फीसदी इंक्रीमेंट बरकरार रहेगा.
एमजीबी के शत प्रतिशत समायोजन को मैनेजमेंट तैयार है .18 फीसदी एमजीबी दिलाने की तैयारी हो गयी है. हालांकि, एनजेसीएस में पांच साल का समझौता और 17.5 फीसदी एमजीबी का लाभ वहां के कर्मचारियों को मिला है. 14 अगस्त के पहले समझौता करने का तानाबाना बुना जा चुका है. सूत्रों के मुताबिक, इस बार एलाउंस में घाटा होने जा रहा है. इसका एनजेसीएस से दूर-दूर तक कभी भी नाता नहीं रहा है.
राजनीति कर रही है यूनियन: बर्मामाइंस में पूर्व कमेटी मेंबर नागेंद्र सिंह की अध्यक्षता में आयोजित मीटिंग में बताया गया कि मजदूरों के साथ राजनीति हो रही है. एमजीबी और साल के रुप में जो नुकसान कराने की तैयारी की जा रही है. मीटिंग में सूर्या राव, दिनकर आनंद, एके सिंह, डीएन प्रसाद, आबिद अली, दीकू हेम्ब्रम, संजय ठाकुर समेत कई अन्य लोग मौजूद थे.
स्थिति स्पष्ट करें यूनियन:एके सिंह मुखिया ने कहा है कि एमजीबी और समय को लेकर अध्यक्ष को कमेटी मेंबरों के बीच आना चाहिए क्योंकि कमेटी मीटिंग में पांच साल में समझौता करने की बात कहीं थी. अब अगर उससे ज्यादा पर समझौता करने की बात है तो इसे हाउस में लाया जाना चाहिए.
अध्यक्ष कमेटी मेंबरों से राय लेकर फैसला करें :कमेटी मेंबर धर्मेद्र उपाध्याय ने कहा है कि एक माह चौदह दिनों का समय बीत चुका है. लेकिन वेज रिवीजन पर कोई स्थिति स्पष्ट नहीं की गयी है. अध्यक्ष कमेटी मेंबरों से रायशुमारी करने के लिए फिर से हाउस में आना चाहिए. पहले हाउस में बातचीत हो, उसके बाद समझौता करना चाहिए.
कमजोरी छिपाने की कोशिश हो रही है : अब्दुल कादिर और मुनेश्वर पांडेय ने संयुक्त रुप से कहा कि कमजोरियों को छिपाने की कोशिश की जा रही है. समझौता के नाम पर सिर्फ दिखावा हो रहा है.
वेज रिवीजन समझौता से पहले ब्रांडिंग करने की तैयारी शुरू हो गयी है. एनजेसीएस से मांग करने वाली यूनियन और कर्मियों के बीच यह माहौल बनाने की कोशिश हो रही रही है कि किसी भी हाल में वेज रिवीजन समझौता करा लिया गया और डीए बचा लिया गया, यहीं उनकी काबिलीयत है. पीएन सिंह के समर्थक व पदाधिकारी इस मुहिम में लग गये है. कैंटीन से लेकर हर जगह वेज रिवीजन के संघर्ष की गाथा सुनाये जा रहे हैं. यह मुहिम चलाने वाले में वैसे पदाधिकारी हैं जिन्होंने पीएन सिंह को आगे लाकर चुनाव लड़ा है.