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पंचायत वाच-चुटियारो पंचायत

पंचायत वाच-चुटियारो पंचायतफैक्ट शीट मतदाताओं की संख्या 4070 महिला 1909 तथा पुरुष 2161 कुल वार्ड 13 हेडलाइन…काम तो हुए, मगर तसल्ली नहीं हुई हजारीबाग. सदर प्रखंड से लगभग 11 किमी की दूरी पर स्थित है चुटियारो पंचायत मुख्यालय. एनएच-100 पर केसुरा मोड़ के पास ही पंचायत में जाने का रास्ता मुड़ जाता है. आबादी लगभग […]

पंचायत वाच-चुटियारो पंचायतफैक्ट शीट मतदाताओं की संख्या 4070 महिला 1909 तथा पुरुष 2161 कुल वार्ड 13 हेडलाइन…काम तो हुए, मगर तसल्ली नहीं हुई हजारीबाग. सदर प्रखंड से लगभग 11 किमी की दूरी पर स्थित है चुटियारो पंचायत मुख्यालय. एनएच-100 पर केसुरा मोड़ के पास ही पंचायत में जाने का रास्ता मुड़ जाता है. आबादी लगभग सात हजार है. 2010 में पंचायत चुनाव हुआ. यह चुनाव 1978 के बाद हुआ था. इससे पंचायत के विकास की आस जगी थी. मुखिया पद आरक्षित था. स्वतंत्र निर्णय नहीं ले सकने के कारण मुखिया गांव के लिए कुछ विशेष काम नहीं कर सकी़ स्थानीय सरकार जनता की इच्छाओं के अनुसार अपेक्षाकृत खरी नहीं उत्तर सकी. बावजूद इन्होंने भी कई काम किये हैं. जिसे देखा जा सकता है. यहां के लोगों की मुख्य आजीविका का साधन कृषि व छोटे छोटे व्यवसाय. पंचायत के अंतर्गत डुमर, सरौनी खुर्द,सरौनी कला एवं चुटियारो गांव पड़ता है. शिक्षा के क्षेत्र में पंचायत में नवप्राथमिक स्कूल चुटियारो, उत्क्रमित मवि डुमर एवं उत्क्रमित उवि सरौनी कला संचालित है. सात आंगनबाड़ी, एक स्वास्थ्य उपकेंद्र, एक आवासीय स्वास्थ्य केंद्र एवं पंचायत भवन है. गांव की गलियों एवं मुहल्लों में पीसीसी बना है. कई रास्ते जर्जर हैं. जिस पर पैदल चलना भी मुश्किल है. पुलिस आहर का रास्ता एकदम खराब है. उत्क्रमित उवि का भवन बने छह माह हो गया है. करोड़ों की लागत से निर्मित यह भवन असामाजिक तत्वों का अड्डा है. शिक्षा विभाग की लापरवाही के कारण आज तक उदघाटन नहीं हुआ. न ही उवि के लिए एक भी शिक्षक की बहाली हुई. कौन चला रहा है स्कूल एवं कैसे नौवीं एवं दसवीं के विद्यार्थी पढ़ाई कर रहे एवं परीक्षा दे रहे, इसकी कोई जांच- पड़ताल करनेवाला नहीं है. नये भवन के अंदर निर्मित विभिन्न प्रकार की सुविधाओं में तोड़-फोड़ की जा रही है. चोरी की घटना घटी है. इसी तरह आवासीय स्वास्थ्य केंद्र बने सालों हो गया है. स्वास्थ्य विभाग झांकने तक नहीं गया है कि उस भवन की वर्तमान स्थिति कैसी है. पंचायत में किसानों के लिए कोई सुविधा नहीं है. सिंचाई की सुविधा नहीं है. जबकि चुटियारो पंचायत में बड़े व्यापक पैमाने पर टमाटर, बैगन एवं मिर्च का उत्पादन हो रहा है. सबसे पहले सिंचाई की सुविधा यहां की जरूरत है. बेरोजगारी के कारण युवक बड़े शहरों की ओर पलायन करते हैं.बाक्स में लेना हैक्या हैं मुद्दे शौचालय निर्माण कार्य होना जरूरी है, सरौनी खुर्द में श्मशान शेड बनाना है, खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत 80 प्रति लोगों का कार्ड नहीं बना है, चुटियारो और धवैया से जोड़ने के लिए पुल बनना है.23 हैज 40 में मुखिया शांति देवी350 लोगों को वृद्धा पेंशन दिलायी : शांतिहजारीबाग. मुखिया शांति देवी ने अपने कार्यकाल में पंचायत के विकास एवं जनता की समस्याओं से जुड़े कई काम किये हैं. उन्होंने बताया कि मैंने पंचायत के 350 लोगोंं वृद्धा पेंशन एवं 50 लोगों को विधवा पेंशन दिलायी. इसी तरह डुमर हेठखोरी में ईंट सोलिंग,रेहदा में चेक डैम, खुटवा बांध श्मशान घाट पर श्मशान शेड तथा डुमर स्कूल में चबूतरा का काम करवाया. डुमर चरही टोंगरी में तालाब गहरीकरण का काम करवाया. सरौनी एवं चुटियारो में मिनी जलापूर्ति योजना के तहत 44 लाख की दो जलमीनार बनवायी. जिससे कई घरों की जलापूर्ति की जाती है.मनरेगा के तहत पंचायत लगभग 50 कुआं दिलवाया.आम सभी काम आम सभा के माध्यम से ही करवाया. किसी से एक पैसा भी नहीं लिया. चुटियारो में रैयती जमीन पर राज्यपाल के नाम जमीन दान करवा कर आंगनबाड़ी केंद्र का निर्माण कार्य करवाया.बॉक्स में लेना है23 हैज41 में गिरिजा देवीमुुखिया बिचौलियों से घिरी रहीं : गिरिजा देवीहजारीबाग. 2010 के पंचायत चुनाव में दूसरे स्थान पर रही गिरिजा देवी ने कहा कि मुखिया ने बिना आम सभा के काम किया है. विकास कार्य करने के पहले वह बिचौलियों की राय लेती थी. इंदिरा आवास अपनी पसंद के लोगों को दिया. जितनी उम्मीद थी, मुखिया उस पर खरी नहीं उतरी.यादों में 23 हैज 42 में मो पार्वतीसिर्फ 2000 रुपये खर्च हुए थेहजारीबाग. 1978 में जब चुनाव हुआ था उस वक्त चुटियारो पंचायत के मुखिया भरतनारायण सिंह ( अब स्वर्गीय) थे. उनकी पत्नी पार्वती ने बताया कि उस समय पंचायत काफी सादा एवं सरल था. सबसे पहले कोई आरक्षण नहीं था. प्रचार प्रसार के लिए चुनाव चिह्न दीवारों में गेरु से लिखा दिया जाता है. जनता स्वत:प्रेरित होकर वोट देती थी.आज की तरह दारू, मुर्गा एवं रुपया पर वोट नहीं जीता गया था. हां, मुझे याद है कि जब मेरे पति ने चुनाव जीता था, उस समय गांव के लोगों की मांग के अनुसार उस गांव के देवी-देवता पर बकरा की बलि दी जाती थी. इसे आप चाहे जिस तरह से देखें. पूरे चुनाव पर बहुत मुश्किल से दो हजार रुपया खर्च आया था. मुखिया बनने के बाद अपने सहयोग के लिए पंचायत से स्वच्छानुसार लोगों को मनोनीत किया जाता था.बॉक्स में लेना हैआपका प्रतिनिधि कैसा हो23 हैज43 में ब्रह्मनारायण सिंह23 हैज 44 में सियाचरण राम23 हैज 45 में आनंद राणा23 हैज 46 में अलख राम23 हैज 47 में चुरामन प्रसाद23 हैज48 में पुलिया आहर जर्जर मार्गबिचौलियों को दूर रखे, बात जगह तक पहुंचायेहजारीबाग. सरौनी खुर्द के वरिष्ठ नागरिक ब्रह्मनारायण सिंह ने कहा कि मुखिया पहले तो पढ़ा- लिखा होना चाहिए. उसे अपने कार्यों में स्वयं निर्णय लेनेवाला होना चाहिए. डुमर के सियाचरण राम ने कहा कि मुखिया पढ़ा लिखा होना चाहिए. जो समाज एवं पंचायत का विकास कार्य कर सके. आनंदी राणा ने कहा कि मुखिया वैसा हो जो किसी बिचौलियों के हाथ में बिका नहीं है.वह योजनाओं की जानकारी पंचायत की जनता को आमसभा के माध्यम से दे. यहां के मुखिया बिना आम सभा का योजनाओं का चयन कर लेता है. चुटियारो के अलख राम ने बताया कि मुखिया काम से कम पंचायत के विकास संबंधी समस्याओं को लिखित रूप से पदाधिकारियों को दे. जिससे उनका ध्यान विकास की ओर जाये. सरयू यादव से पंचायत मुख्यालय तक मिट्टी मोरम का जो काम हुआ है वह आज तक अधूरा है.मुखिया आम सभा द्वारा पारित योजना में हस्ताक्षर करे. सरौनी कला के चुरामन प्रसाद ने कहा कि मुखिया पंचायत के विकास कार्य को किसी बिचौलियों का सहारा लेकर नहीं बल्कि स्वयं निर्णय लेना चाहिए.

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