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विधान का अर्थ, श्रद्धा व आस्था से प्रभु की आराधना : पं दीपक

हजारीबाग: आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महाराज के संयम स्वर्ण जयंती महोत्सव वर्ष व अष्ट्राहिन्का महापर्व का समापन हुआ. बाडम बाजार दिगंबर जैन मंदिर में सुबह सात सात बजे से पूजा, पाठ, अभिषेक, शांतिधारा व यज्ञ मंडप में हवन, जाप के साथ संपन्न हुआ. मुख्य कलश स्थापना धीरेंद्र सेठी ने किया था. पंडित दीपक शास्त्री […]

हजारीबाग: आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महाराज के संयम स्वर्ण जयंती महोत्सव वर्ष व अष्ट्राहिन्का महापर्व का समापन हुआ. बाडम बाजार दिगंबर जैन मंदिर में सुबह सात सात बजे से पूजा, पाठ, अभिषेक, शांतिधारा व यज्ञ मंडप में हवन, जाप के साथ संपन्न हुआ.

मुख्य कलश स्थापना धीरेंद्र सेठी ने किया था. पंडित दीपक शास्त्री के सानिध्य में विधान पूजन पाठ व सभी कार्यक्रम संपन्न हुए. जैन समाज के इतिहास में पहली बार इस विधान का आयोजन किया गया. मौके पर पंडित दीपक ने अपने संदेश में कहा कि विधान का अर्थ है, पूर्ण शुद्धि श्रद्धा व आस्था से प्रभु की आराधना व अर्चना. विधान द्वारा पूरे देश में सुख, शांति व समृद्धि हो, ऐसी प्रार्थना की जाती है. श्रीमती कांता सेठी व ललिता बोहरा को उनके योगदान के लिए समाज द्वारा सम्मानित किया गया.

xललित अजमेरा, कमल गंगवाल, नीलेश व रूपेश छाबड़ा को अध्यक्ष धीरेंद्र सेठी, महामंत्री पवन अजमेरा, अरुण बोहरा व सुशील पाटनी ने सम्मानित किया. आठ दिन तक चले विधान में पंडित दीपक शास्त्री के योगदान के लिए दिगंबर जैन पंचायात ने उन्हें सम्मान तिलक, पीठ दुपट्टा के साथ किया. उपवास रखी व्रतधारी पूनम लुहाडिया को मोमेंटो देकर सम्मानित किया गया. संचालन सुबोध सेठी ने किया. संध्या में आरती, जाप व भजन संध्या का कार्यक्रम हुआ. मीडिया प्रभारी विजय लुहाडिया ने बताया कि धर्म जीवन का अतरंग तत्व है. यह पर्व आस्था का पर्व है. साधना ओर संयम की आराधना का पर्व व अष्टाहिन्का व्रत है.

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