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Martyrdom Day: शहादत दिवस आज, 20 गोली लगने के बाद भी नहीं रुके थे अलबर्ट एक्का

Martyrdom Day: शहीद अलबर्ट एक्का का शहादत दिवस है. अलबर्ट एक्का ने पाकिस्तान में घुस कर बंकर नष्ट किये थे और कई दुश्मनों को मार गिराया था. अदम्य साहस के कारण ही 1971 के युद्ध में भारत ने पाकिस्तान को शिकस्त दी थी.

Martyrdom Day: गुमला जिले के जनजातीय बहुल जारी गांव में जन्मे अलबर्ट एक्का ने पाकिस्तान में घुस कर बंकर नष्ट किये थे और कई दुश्मनों को मार गिराया था. अलबर्ट एक्का के अदम्य साहस के कारण ही 1971 के युद्ध में भारत ने पाकिस्तान को शिकस्त दी थी. इस युद्ध में तीन दिसंबर 1971 को अलबर्ट एक्का शहीद हुए थे. मरणोपरांत उन्हें देश की सर्वश्रेष्ठ सम्मान परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया था. 1971 के युद्ध में 15 भारतीय सैनिकों को मरता देख अलबर्ट एक्का दौड़ते हुए बंदर की तरह टॉप टावर पर चढ़ गये थे. उसके बाद टॉप टावर के मशीनगन को अपने कब्जे में लेकर दुश्मनों को तहस-नहस कर दिया. इस दौरान उन्हें 20 से 25 गोलियां लगी. पूरा शरीर गोलियों से छलनी था. वे टॉप टावर से नीचे गिर गये, इसके बाद उन्होंने अंतिम सांस ली थी.

शहीद की वीरता की कहानी

शहीद अलबर्ट एक्का का शहादत दिवस तीन दिसंबर को है. गुमला जिले के जारी, जो जनजातीय बहुल गांव है. इस छोटे से गांव में 1942 ईस्वी को जुलियस एक्का व मरियम एक्का के परिवार में अलबर्ट एक्का का जन्म हुआ था. अलबर्ट के पिता जुलियस भी सेना में थे. वे द्वितीय विश्वयुद्ध में अपना योगदान दिये थे. अलबर्ट ने प्रारंभिक पढ़ाई गांव के ही सीसी पतराटोली व मीडिल स्कूल की पढ़ाई भीखमपुर से की. घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं रहने के कारण वे आगे की पढ़ाई नहीं कर सके.

गांव में ही अपने पिता के साथ खेती-बारी का काम करते थे. इस दौरान अलबर्ट ने दो वर्ष तक नौकरी की तलाश भी की. लेकिन उन्हें कहीं नौकरी नहीं मिली. इसके बाद वे भारतीय सेना में शामिल हुए. 20 वर्ष की उम्र में अलबर्ट ने 1962 ईस्वी में चीन के विरुद्ध युद्ध में अपनी बुद्धि व बहादुरी का लोहा मनवाया था. इसके बाद 1968 में बलमदीना एक्का (अब स्वर्गीय) से उनका विवाह हुआ. बलमदीना से शादी के बाद 1969 में एक पुत्र हुआ. जिसका नाम भिंसेंट एक्का है. अलबर्ट एक्का 1971 के भारत-पाक युद्ध में भाग लिये, जहां दुश्मनों से लड़ते हुए शहीद हो गये. इस युद्ध में अलबर्ट ने पाकिस्तान की सैनिकों को परास्त किये थे. साथ ही उनके इलाके में घुस कर उनके बंकर नष्ट कर दिये थे. आज पूरा देश उन्हें पूरे सम्मान के साथ याद करता है.

हॉकी खेल के दीवाने थे अलबर्ट एक्का

परिजन बताते हैं कि शहीद अलबर्ट एक्का पढ़ाई में जरूर कमजोर थे. लेकिन खेल में वे आगे रहते थे. उनका पसंदीदा खेल हॉकी था. उस जमाने में घर में बनाया गया लकड़ी का हॉकी स्टिक व कपड़ा बांध कर बनाये गये गेंद से वे हॉकी खेलते थे. इतना ही नहीं वे खेती-बारी में भी पूरा समय देते थे. हल चलाना उनका शौक था. हॉकी खेल के अलावा चिड़िया मारने के भी शौकीन थे. गांव में जब फुर्सत में रहते थे, तो सभी दोस्त चिड़िया मारने जंगल जाते थे. खेत में जब धान की फसल तैयार हो जाती थी. उस समय पक्षी धान को चुगने आते थे. फसल को बचाने के लिए अलबर्ट खेतों की निगरानी करते थे. अलबर्ट एक्का बचपन से ही वह सेना में जाने की बात करते थे.

रिपोर्ट : दुर्जय पासवान, गुमला

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