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इतिहासकारों ने टाना भगत के योगदान को नहीं दी जगह : शिवशंकर उरांव
गुमला : विधायक शिवशंकर उरांव ने कहा कि जतरा टाना भगत ने अंगरेजी शासन के खिलाफ बिगुल बजाया था. चिंदरी गांव से मालगुजारी नहीं देने का विरोध शुरू हुआ़ जंगल से पूरे भारत में अंगरेजी शासन का विरोध शुरू किया गया था़ टाना भगत ने कहा था कि धरती हमारी, जंगल हमारा, उसे साफ कर […]
गुमला : विधायक शिवशंकर उरांव ने कहा कि जतरा टाना भगत ने अंगरेजी शासन के खिलाफ बिगुल बजाया था. चिंदरी गांव से मालगुजारी नहीं देने का विरोध शुरू हुआ़ जंगल से पूरे भारत में अंगरेजी शासन का विरोध शुरू किया गया था़ टाना भगत ने कहा था कि धरती हमारी, जंगल हमारा, उसे साफ कर खेती लायक हमने बनाया, तो मालगुजारी क्यों दे़
सही में असहयोग आंदोलन की नींव यहीं से पड़ी थी, लेकिन इतिहास लिखने वालों ने टाना भगत को जगह नहीं दी़ आज इतिहास में उनको कोई नहीं जानता है़ टाना भगत की जमीन को सरकार व जमींदारों ने कब्जा किया है़ अब समय अा गया है, जब अपनी जमीन के लिए न्याय की आवश्यकता महसूस हो रही है़ झारखंड व केंद्र सरकार अापकी व्यथा को समझ रही है़ आपको न्याय अवश्य मिलेगा़
प्रोत्साहन नहीं मिलेगा, तो बंदूकें उठेंगी ही : भगत
विकास भारती के सचिव अशोक भगत ने कहा कि सत्य-अहिंसा के मार्ग पर चलनेवाले को प्रोत्साहन नहीं मिलेगा, तो बंदूक तो उठेगी हीं, लेकिन राज्य सरकार गंभीरता से विकास कार्य में लगी है. अब लड़ाई लड़ने की बात खत्म हो गयी है. अब तो टाना भगतों काे उनका हक चाहिए. गांधी स्मृति दर्शन के सदस्य दीपांकर ज्ञान ने कहा कि टाना भगतों को जमीन वापसी, संस्कृति के विलुप्त होने का खतरा और रीति-रिवाज बचाने की आवश्यकता है.
भाजपा नेता जेबी तुबिद ने कहा कि टाना भगतों की लड़ाई हक की है. विचारधाराओें की है, विरासत की है. इनके साथ आजादी के बाद अधिकारों का हनन हो रहा है. कानून का पालन करना व कराना सरकार की जिम्मेदारी है. टाना भगत को कागज पर अधिकार मिला है. ताकतवर लोगों ने इनकी उपजाऊ जमीन पर कब्जा कर रखा है. टाना भगतों के इतिहास काे सरकारी किताबों में शामिल करना चाहिए.
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