– ओमप्रकाश चौरसिया –
आबादी बढ़ी, वाहन बढ़े, पर बाइपास नहीं बना
गुमला : गुमला जिला बने 30 साल हो गये. मगर अभी तक बाइपास रोड का निर्माण नहीं हो सका है. इस दौरान कई सरकारें आयीं और चली गयीं. बिहार के समय से ही बाइपास रोड की मांग उठती रही है.
तीस साल में शहरी क्षेत्र की आबादी 25 हजार से बढ़ कर 60 हजार से अधिक हो गयी है. इसके कारण बराबर रोड जाम लगा रहता है. शहर के मुख्य पथ सहित अन्य पथों के संकीर्ण होने से और रोड के किनारे दुकान लगाने के कारण यह समस्या और गहरा जाती है.
जिला प्रशासन द्वारा साल में एक दो बार अतिक्रमण हटाओ अभियान चलाया जाता है. मगर फिर स्थिति पहले जैसी ही हो जाती है. शहर में कई स्थानों पर छोटे वाहन खड़े रहते हैं. इससे बड़ी दुर्घटना की आशंका बनी रहती है. बाइपास रोड का निर्माण गुमलावासियों के लिए अब तक सपना है.
प्रयास तो किये जा रहे हैं, मगर अभी तक रोड निर्माण कार्य लटका हुआ है. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार भूतल परिवहन विभाग दिल्ली द्वारा बाइपास रोड के लिए 45 करोड़ रुपये की स्वीकृति प्रदान कर दी गयी है. हाल में ही जमीन के मुआवजे के लिए 13 करोड़ रुपये की स्वीकृति भी मिल गयी है.
मगर यह सब अभी कागजी है. इसके लिए डीपीआर बना कर नगर विभाग को भेजी गयी थी. जहां से अनुशंसा कर केंद्र सारकर के पास भेजा जा चुका है. निर्माण में 11 राजस्व गांव आयेंगे. जिसमें 600 ग्रामीणों की लगभग 157 एकड़ जमीन का अधिग्रहण होगा. मुआवजे के रूप में करीब 13 करोड़ रुपये खर्च होंगे. विलेज मैप की मांग केंद्र सरकार द्वारा की गयी है. इस मामले को जन प्रतिनिधियों ने लोकसभा व विधान सभा में उठाया भी है.
भारत सरकार के तत्कालीन सड़क व परिवहन मंत्री कमल नाथ कुमार ने सांसद से पत्रचार कर कहा था कि भूमि अधिग्रहण, मुआवजे की राशि व विलेज मैप जमा नहीं है. जबकि नगर पंचायत गुमला द्वारा सारा कागजात नगर विभाग को जमा कर दिया गया था. डीपीआर बनाने में करीब चार लाख से अधिक राशि खर्च हुआ था.
2002 में भी हुआ था प्रयास : यहां बता दें कि रोड जाम व सड़क दुर्घटनाओं से निजात दिलाने के लिए गुमला के पूर्व उपायुक्त सियाराम प्रसाद सिन्हा ने इस दिशा में सार्थक कदम उठाया था. काफी जद्दोजहद के बाद 25 अगस्त 2002 ई को राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने बाइपास रोड का शिलान्यास किया था.
इस मौके पर मुख्य रूप से पूर्व सांसद दुखा भगत, पूर्व मंत्री सुदर्शन भगत सहित जिला प्रशासन के अधिकारी व गुमला के गणमान्य लोग सहित विभिन्न राजनीति पार्टी के नेता उपस्थित थे. शिलान्यास के 11 वर्ष का लंबा सफर तय होने के बाद भी रोड का काम पूरा नहीं हुआ है. अधूरा रोड बना है. मगर जगह–जगह पर अभी भी गड्ढे हैं. गुमला की सड़के काफी संकीर्ण होने के कारण आये दिन सड़क दुर्घटनाएं होती रहती हैं.
फोरलेन के लिए भी कवायद शुरू कर दी गयी थी. लेकिन फोर लेन रोड कब बनेगा, यह भविष्य के गर्त में है.