दुर्जय पासवान, गुमला
रायडीह प्रखंड के सन्याकोना बगडाड़ गांव की 60 वर्षीय क्लारा कुल्लू व उसके पोते आलोक कुल्लू (10 वर्ष) की मार्मिक कहानी ‘प्रभात खबर’ में पढ़ने के बाद गुमला के कई लोगों ने मदद के लिए हाथ बढ़ाया है. सोमवार को गुमला के कई लोग सदर अस्पताल पहुंचे. जहां अपने पोते का इलाज करा रही क्लारा की लोगों ने आर्थिक मदद की.
गुमला प्रशासन का भी दिल पिघल गया है. प्रशासन ने क्लारा का आधार कार्ड बनवाने व वृद्धावस्था पेंशन दिलवाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. आधार कार्ड बनने के बाद वृद्धावस्था का पेंशन भरवाया जायेगा. सीडब्ल्यूसी के चेयरमैन शंभु सिंह ने बताया कि ‘प्रभात खबर’ में समाचार छपने के बाद कई लोगों ने अस्पताल पहुंचकर क्लारा की मदद की.
यहां तक कि क्लारा को सरकारी सुविधा भी देने की कवायद चल रही है. सोमवार को उसका आधार कार्ड बनवाने के लिए आवेदन भरा गया है. अस्पताल में इलाजरत आलोक के बेहतर इलाज की व्यवस्था अस्पताल प्रबंधन द्वारा की गयी है. डॉक्टर व नर्स बच्चे पर विशेष नजर रखे हुए हैं. चूंकि यह बच्चा कुपोषित था और बहुत ही खराब स्थिति में अस्पताल लाया गया था. इलाज के बाद आलोक के स्वास्थ्य में काफी सुधार हुआ है.
प्रभात खबर का आभार प्रकट किया
सीडब्ल्यूसी के चेयरमैन शंभु सिंह ने कहा कि मैं ‘प्रभात खबर’ का आभार प्रकट करता हूं. जिनके एक न्यूज से दादी-पोते को मदद के लिए लोग आगे आ रहे हैं. हालांकि सीडब्ल्यूसी अपने स्तर से बीमार आलोक का इलाज करा रही थी. उसके परवरिश के लिए मिशनरीज ऑफ चैरिटी में व्यवस्था कर दी गयी है. लेकिन क्लारा ने गरीबी के कारण जो अपनी जमीन गिरवी रख दी है. उसे जमीन को छुड़ाने के लिए लोग आर्थिक मदद कर रहे हैं. प्रशासन भी सक्रिय हुआ है. यह सब ‘प्रभात खबर’ में छपी समाचार के बाद हुआ है.
छात्र ने अस्पताल पहुंचाया, पीएलवी ने इलाज कराया
रायडीह प्रखंड के कोजांग गांव के दुलारचंद साहू छात्र है. वह जेपीएससी की मेंस का परीक्षा लिखा है. रांची में पढ़ाई करने के बाद वह गांव में रह रहा है. दुलारचंद ने बताया कि 20 दिन पहले बगडाड़ गांव के बहाल लोहरा उसके पास आया. उसने बताया कि गांव की क्लारा देवी गरीबी में जी रही है. उसका पोता आलोक बिना दूध के मर जायेगा. क्योंकि आलोक के माता पिता का निधन हो गया है. इस मार्मिक सूचना पर दुलारचंद ने सीडब्ल्यूसी से बात की.
इसके बाद क्लारा व उसके पोते को अपने खर्च पर अस्पताल लाया. चूंकि क्लारा के पास अस्पताल आने के लिए पैसे नहीं थे. दुलारचंद ने पैसा दिये. अस्पताल लाने के बाद सीडब्ल्यूसी के दिशा निर्देश पर जिला विधिक सेवा प्राधिकार गुमला की पीएलवी सोनू देवी ने आलोक को अस्पताल में भरती कराने में मदद की.
डॉक्टर से मुलाकात कर आलोक की स्थिति की जानकारी दी. सोनू ने बताया कि 18 जून को आलोक को गुमला अस्पताल में भरती कराया गया. इसके बाद वह खुद हर दो दिन में अस्पताल जाकर आलोक की स्थिति की जानकारी लेने लगी. जिसका नतीजा है कि आज आलोक की स्थिति में सुधार हुआ है.