आत्मदेव की कथा सुनकर भाव विहोर हुए श्रद्धालु

श्रीमद भागवत कथा में भक्तों की जुटी भीड़, लाडली शरण ने सुनायी कथा

By Prabhat Khabar News Desk | March 4, 2025 11:00 PM

ठाकुरगंगटी प्रखंड क्षेत्र के भूमफोड नाथ महादेव शिव मंदिर बसता पहाड़ी के परिसर में आयोजित महारुद्र यज्ञ के साथ-साथ श्रीमद भागवत कथा के आयोजन में भक्तों की भारी भीड़ जुटी. वृंदावन से पधारीं बाल विदुषी लाडली शरण जी ने कहा कि तुंगभद्रा नदी के किनारे के एक गांव था. वहां पर आत्मदेव नाम का एक ब्राह्मण और उसकी पत्नी धुंधली रहती थी. आत्म देव तो सज्जन था, लेकिन पत्नी दुष्ट प्रवृति की थी. आत्मदेव बहुत उदास रहता था, क्योंकि उसको कोई संतान नहीं हो रहा था. बहुत बार उसने आत्महत्या करने की भी कोशिश की, लेकिन सफल नहीं हो पाया. लेकिन एक दिन हताश होकर जंगल की तरफ आत्महत्या करने निकल गया. रास्ते में उन्हें एक ऋषि मिले और फिर आत्मदेव ऋषि को अपनी कहानी सुना कर रोने लगा और उपाय पूछने लगा. ऋषि ने कहा कि मेरे पास अभी तो ऐसा कुछ नहीं है, जिससे मैं तुम्हें कुछ दे पाऊं. आत्मदेव ने बताया कि गाय बच्चा नहीं दे रही है. जब आत्मदेव ऋषि को बार-बार बोलने लगा तो ऋषि ने उसे एक फल दिया और उसको अपनी पत्नी को खिलाने को कहा. कहा कि एक साल तक तुम्हारी पत्नी को सात्विक जीवन जीना पड़ेगा. आत्मदेव वह फल लेकर ख़ुशी-ख़ुशी घर वापस आकर सारी बात पत्नी को बतायी और फल खाने को दिया. लेकिन पत्नी सोचती है कि अगर बच्चा हुआ तो उसको बहुत कष्ट का सामना करना पड़ेगा. यही सोच कर वह उस फल को नहीं खायी और जाकर सारी बात अपने छोटी बहन को बतायी. उसकी बहन ने उसे एक रास्ता बताया और कहा की मैं गर्भवती हूं और मुझे बालक होने वाला है. उसको तुम ही ले लेना और उस फल को गाय को खिला दे. इससे उस ऋषि की शक्ति का भी पता चल जाएगा पर धुंधली ने ऐसा ही किया और अपने पति आत्म देव के सामने गर्भावस्था का नाटक करने लगी और कुछ दिन बाद जाकर अपनी बहन से बच्चा लेकर आ गयी. आत्मदेव बहुत खुश हुआ. उस बच्चे का नाम ब्रह्मदेव रखना चाहा, लेकिन धुंधली ने फिर झगड़ कर उसका नाम धुंधकारी रखा. कहा कि संसार में हम बस भागवत दृष्टि रखकर ही सुखी हो सकते है. धुंधकारी ने पूरी भागवत कथा श्रद्धा तथा प्रेम भाव से सुना, इसलिए मनुष्य को सच्चे राह पर चलना चाहिए. माता-पिता की सेवा ही सबसे बड़ा धर्म है. कथा को सुनकर लोग भावविभोर हो गये. मौके पर कमेटी के अध्यक्ष उमेश साह, मिथिलेश रंजन, मिथुन मंडल, बिनोद मंडल, भोजल रविदास, इंद्रजीत मंडल सहित बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे.

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