झारखंड ECL माइन धंसान हादसा : अब तक दस शव निकाले गये
5:41PM : झामुमो नेता स्टीफन मरांडी घटनास्थल पहुंचे. दोषियो पर कार्रवाई की मांग... 4:45 PM : खदान हादसे में मारे गये लोगों के परिजनों को 12 लाख मुआवजा. पांच लाख ईसीएल कंपनी, पांच लाख महालक्ष्मी कंस्ट्रंक्शन व दो लाख रुपये राज्य सरकार मुआवजा देगी. 4 :30PM : अब तक दस शव निकाले गये, रेस्कयू टीम […]
5:41PM : झामुमो नेता स्टीफन मरांडी घटनास्थल पहुंचे. दोषियो पर कार्रवाई की मांग
4:45 PM : खदान हादसे में मारे गये लोगों के परिजनों को 12 लाख मुआवजा. पांच लाख ईसीएल कंपनी, पांच लाख महालक्ष्मी कंस्ट्रंक्शन व दो लाख रुपये राज्य सरकार मुआवजा देगी.
4 :30PM : अब तक दस शव निकाले गये, रेस्कयू टीम ने एक शव निकाला
02.35 PM :झारखंड की मुख्य सचिव राजबाला वर्मा एवं डीजीपी डीके पांडेय ललमटिया पहुंचे. दोनों शीर्ष अधिकारी स्वयं खान हादसे की मॉनिटरिंग कर रहे हैं.
02.32PM :केंद्र सरकार ने पांच-पांच लाख रुपये मुआवजा देने की घोषणा की है. झारखंड सरकार ने दो-दो लाख मुआवजा देने की बात कही है.
02: 07 PM : अबतक 9 शवों को निकाला जा चुका है. 10 खनन उपकरणों को भी निकाला जा चुका है.
01: 35 PM : डीजीपी और मुख्य सचिव पहुंचे ललमटिया
01: 05 PM : हादसे को लेकर झाविमो प्रमुख और सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने कहा कि हमने लालमटिया के पीडि़तों से बात की. मलबे में 70 के करीब लोग दबे हैं. सेफ्टी मेजर खनन के लिए फॉलो नहीं किया गया. ऐसा ही हाल सूबे में 20 से 25 जगह है जहां दुर्घटना हो सकती है.
12: 35PM: झारखंड खदान हादसा: कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने जताया दुख
12: 02 PM : पीएम मोदी ने सीएम रघुवर दास से ली जानकारी, मुआवजे का एलान
11: 05 AM : मुख्यमंत्री रघुवर दास ने जांच का दिया आदेश.
11: 01 AM : झारखंड खदान हादसा : बचाव दल ने अबतक चार शव निकाले हैं जबकि एक शव अभी भी मलबे में दिखाई दे रहा है.
गोड्डा/बोआरजोर (झारखंड) : झारखंड के गोड्डा जिले के ललमटिया क्षेत्र के भोड़ाय काेल माइंस साइट में गुरुवार रात आठ बजे धंसे खदान से अब तक सात लाशें निकाली जा चुकी है. एक लाश मलवे में दबी हुई दिखाई दे रही है. 35 से 40 और मजदूरों के दबे होने की आशंका है. मलवे ने निकाली गयी सात में पांच लाशों की पहचान कर ली गयी है. इनमें से एक झारखंड, तीन बिहार और एक उत्तरप्रदेश के मजदूर की लाश है. इसीएल के सीएमडी राजीव मिश्रा कुछ देर पहले चार लाशों को निकाले जाने और एक लाश के मलवे में दिखाई देने की पुष्टि की थी.
खदान में 20 वोलबो, एक डोजर, छह पोकलेन वोलबो, एक बोलेरो भी धंसा हुआ है. आशंक़ा जतायी जा रही है कि खदान में दबे सभी मजदूराें की मौत हो चुकी है. एनडीआरआफ की रांची और पटना से पहुंचीें टीमें राहत और बचाव कार्य में लगी हुई हैं. ऊर्जा एवं कोयला मंत्री पीयूष गोयल ने कहा है कि बचाय कार्य जारी है और घटना की जांच शुरू कर दी गयी है. पीयूष गोयल ने हादसे के बाद कल रात गोड्डा के उपायुक्त से घटना की जानकारी ली.
Taking stock of situation, rescue efforts underway; enquiry has been initiated: Power and coal minister Piyush Goyal #JharkhandMinecollapse
— ANI (@ANI) December 30, 2016
मुख्यमंत्री रघुवर दास घटना पर नजर बनाये हुए हैं. उन्होंने आज मीडिया से कहा कि जांच में दोषी पाये जाने वाले अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई होगी. मुख्यमंत्री रघुवर दास ने घटना पर दुख जताया है. उन्होंने कल रात फोन पर गोड्डा के उपायुक्त से घटना की जानकारी ली और बचाव एवं राहत कार्य तेजी से चलाने का निर्देश दिया. सीएम ने वरिष्ठ अधिकारियों को घटनास्थल पर भेजा और राज्य की मुख्य सचिव राजबाला वर्मा और जीपी को राहत कार्य की सतत निगरानी का निर्देश दिया.
Jharkhand mine collapse: CM Raghubar Das monitoring situation closely, asks concerned officials to intensify rescue operations.
— ANI (@ANI) December 30, 2016
CISF के मुताबिक घंसी खदान में 40-50 मजदूर हो सकते हैं. हादसे के बीच बिजली आपूर्ति व्यवस्था ध्वस्त हो जाने के कारण बचाव कार्य शुरू करने में बाधा आयी. घंसी खान में दबे सभी मजदूर प्राइवेट कंपनी के हैं, जिसे ECL ने आउटसोर्सिंग के तहत कोल उत्खनन का कार्य सौंपा है.
ललमटिया खदान हादसा: कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने जताया दुख
ECL के ललमटिया स्थित भोड़ाय साइट में खदान धंसने की घटन गुरुवार को रात करीब 8 बजे हुई. खान घंसने से करीब 300 फीट नीचे मजदूर और वाहन दब गये.कोहरे और ठंड के कारण राहत कार्य व्यापक पैमाने पर शुरू नहीं हो सका. स्थानीय स्तर पर राहत कार्य शुरू किया गया था. एनडीआरएफ की टीम आज पहुंची. उसके बाद राहत और बचाव कार्य में तेजी आयी.
झारखंड के गोड्डा जिले में खदान धंसी, 40 मजदूर दबे pic.twitter.com/bemoln3TDI
— Prabhat Khabar (@prabhatkhabar) December 30, 2016
बताया जाता है कि हादसे की वजह ECL प्रबंधन की लापरवाही है. पर्याप्त सुरक्षा इंजताम के इस खदान में तीन पहले फिर से कोयले का उत्ख्रनन कार्य शुरू किया गया था. यह भी बताया जा रहा है. तीन दिन पहले इसीएल के सीजीएम और सर्वेयर ने खदान का निरीक्षण िकया था. इसके बाद ही फिर से उत्खनन की अनुमित दी गयी, जबिक परोजना के इंजीनियर ने उन्हें ख्रदान में दरार आने की सूचना दी थी, लेकिन उस पर कोई संज्ञान नहीं लिया गया.
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हादसे के बाद से ही अासपास के इलाकों में हाहाकार मच गया. बड़ी संख्या में ग्रामीण घटनास्थल पर जुट गये. इसीएल के सभी पदाधिकारी व एसडीपीओ आर मिश्रा के साथ बड़ी संख्या में पुलिस बल खदान के पास पहुंचा. हालांकि बिजली के सारे खंभे जमींदोज हो गये हैं. इससे बिजली कट गयी है और बचाव कार्य शुरू करने में बाधा आयी.
खदान में दबे कुछ मजदूर और कर्ममचारी दूसरे राज्यों के भी हैं, जबकि ज्यादातर मजदूर आसपास के भादो टोला, भोराईं, नीमा व ललभुटवा आदि गांव के बताये जा रहे हैं. इस खदान को इसीएल ने महालक्ष्मी खनन कंपनी को लीज पर दे रखा है, उत्खनन और परिवहन में लगे उपकरण सुखदेव एंड कंपनी की बतायी जाती है.
हादसे के वक्त हो रहा था उत्खनन
गुरुवार को काम के दौरान ही अचानक ही खदान धंस गयी और पल भर में 300 फीट गहरी खदान समतल मैदान में तब्दील हो गयी, जिसके नीचे वहां काम कर रहे मजदूर और कर्मचारी के साथ गाड़ियां भी जमींदोज हो गयीं. घटना से कर्मचारियों और मजदूरों के परिजनों में आक्रोश है. कल रात एक ओवर मैन हेमनारायण यादव को जख्मी हालत में वहां से निकाला गया था. उसे इलाज के लिए स्थानीय अस्पताल ले जाया गया था. केंदुआ गांव रहने वाले वाहन चालक शहादत अंसारी ने फोन पर बताया कि खदान में जहां मलवा गिरा, वहां 300 फीट गहरी खायी है.
पहले भी हो चुकी है दुर्घटना
करीब छह माह पहले भी इसी खदान में एक ड्रील मशीन डूब गयी थी. कंपनी ने उस घटना से सबक नहीं लिया और पूर्व की तरह काम चालू रखा. घटना के बाद से वहां के मजदूर आक्रोशित हैं.
10 साल पुरानी थी भोड़ाय साइट
इसीएल राजमहल परियोजना की ललमटिया की भोड़ाय साइट में पिछले 10 सालाें से खुदाई का काम चल रहा था. इस कारण इसे डीप माइनिंग के नाम से जाना जाता है. खदान में पहले ही काफी खनन कार्य हो चुका था. चारों ओर से खदान धंसने लगी थी. बता दें कि तीन दिन पहले इसीएल के सीएमडी आरआर मिश्रा राजमहल परियोजना को निरीक्षण करने आये थे. उन्होंने भोड़ाय साइट का भी निरीक्षण किया था. यहां से अधिक उत्खनन का निर्देश दिया था.साथ ही भोड़ाय गांव को भी हटाने का निर्देश दिया था. इधर, प्रबंधन तेजी से खनन कार्य में जुटा ही था कि खदान धंस गयी.
