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समाज-देश के लिए कुछ करना ही सफल जीवन

जीवन तो सभी को मिलता है, लेकिन समाज के लिए, देश के लिए कोई अपने जीवन को समर्पित करता है या फिर समाज व देश की उन्नति में अपना योगदान देता है तो उसे बेहतर और सफल जीवन कहा जाता है. कुछ इसी सोच के साथ रांची के कडरू निवासी विजया बैंक के क्लर्क मोहन […]

जीवन तो सभी को मिलता है, लेकिन समाज के लिए, देश के लिए कोई अपने जीवन को समर्पित करता है या फिर समाज व देश की उन्नति में अपना योगदान देता है तो उसे बेहतर और सफल जीवन कहा जाता है.
कुछ इसी सोच के साथ रांची के कडरू निवासी विजया बैंक के क्लर्क मोहन जी दूबे की पुत्री मेघा भारद्वाज अपनी मेहनत के दम पर आइएएस अफसर बनीं. वह 2015 बैच की आइएएस हैं, जो गिरिडीह में डीसी उमाशंकर सिंह के सानिध्य में ट्रेनिंग ले रही हैं और फिलहाल अपर समाहर्ता के पद पर कार्य कर रही हैं. पिछड़े इलाके का विकास कैसे हो, गरीबों का उत्थान कैसे हो इन सब पर हमेशा मंथन करती रहती हैं. उनका सपना क्या है, लक्ष्य को पाने का तरीका क्या है, समाज व देश की तरक्की का रोडमैप क्या होना चाहिए, जैसे सवालों पर उनसे प्रभात खबर ने बातचीत की.
राकेश सिन्हा
गिरिडीह : प्रशिक्षु आइएएस मेघा भारद्वाज ने प्रभात खबर से खास बातचीत में कहा कि जब पढ़ाई कर रही थी, तभी मन में आया कि जीवन तो हर कोई किसी-न-किसी तरह जी लेता है, लेकिन दूसरों के लिए कुछ करना, उनके लिए जीना अलग बात है. पिता मोहन जी दूबे भी कुछ ऐसा ही चाहते थे.
उनकी भी इच्छा थी कि उनकी लाडली ऐसे पद पर जाये, जिससे वह समाज के लिए कुछ बेहतर कर सके. मिडिल और हाई स्कूल में बेहतर रिजल्ट न पाकर पिता जी कभी विचलित नहीं हुए. उनका मानना था कि समाज के लिए कुछ बेहतर करना है. चाहे परिस्थितियां जो भी हो. कहती हैं कि पढ़ाई करते समय ही मैंने दूसरों के लिए जीने का लक्ष्य तय कर लिया. तभी दिमाग में आया कि इसके लिए ऊंचे पद पर जाना होगा, आइएएस बनना होगा और मैंने आइएएस बनने की तैयारी शुरू कर दी.
प्राइमरी स्कूल से आइएएस तक का सफर : मेघा भारद्वाज की स्कूली पढ़ाई सामान्य रही है. प्राइमरी व मिडिल स्कूल की पढ़ाई करने के बाद दसवीं की पढ़ाई विशप वेस्टकोट(रांची) से की. इसके बाद संत जेवियर्स कॉलेज (रांची) से जीव विज्ञान विषय में ऑनर्स किया.
जीव विज्ञान आनर्स में टॉपर रही, जिसमें गोल्ड मेडल मिला. इससे उत्साह बढ़ा और कुछ खास करने की तैयारी शुरू कर दी. उसके बाद मास्टर्स डिग्री के लिए दिल्ली चली गयी. इसी दौरान यूपीएससी की परीक्षा में शामिल होने की तैयारी भी शुरू कर दी. यूपीएससी के पहले प्रयास में ही सफलता पायी, पर आइएएस का रैंक नहीं मिला. 546वां रैंक मिलने से रेलवे ट्रैफिक सेवा की नौकरी मिली. इसी दौरान जीआरएफ का भी रिजल्ट आया और उन्हें इसमें छठा स्थान मिला. उन्होंने भारद्वाज असुरक्षा की भावना की वजह से फोरेस्ट डिपार्टमेंट को ज्वाइन कर लिया, लेकिन यूपीएससी की तैयारी भी करती रही और 2015 के यूपीएससी में उन्हें 32वां रैंक मिल गया और वह आइएएस के लिए चुन ली गयीं.
झारखंड में क्वालिटी एजुकेशन-क्वालिटी हेल्थ सर्विस जरूरी
मेघा भारद्वाज मानती हैं कि झारखंड में शिक्षा व चिकित्सा व्यवस्था का स्तर बेहतर नहीं है. देश भर में अत्याधुनिक तकनीक आजमाये जा रहे हैं,लेकिन झारखंड इस मामले में अब तक पीछे है. झारखंड के कई गांवों में शिक्षा का स्तर व चिकित्सा का स्तर सुधारे जाने की जरूरत है. इसे महत्वपूर्ण पदों में बैठे लोगों को चुनौती के रूप में लेना होगा. लोगों के दर्द को समझना होगा.
कहती हैं कि मैं क्वालिटी एजुकेशन और क्वालिटी हेल्थ सर्विस पर विशेष तौर पर फोकस करूंगी. कहा कि पावर का डिस्ट्रीब्यूशन होना चाहिए, तभी सिस्टम बेहतर तरीके से काम करता है. कोई भी काम अच्छी सोच के साथ शुरू की जाये तो सभी का सहयोग मिलता है और उसमें सफलता भी मिलती है. किसी कारणों से कहीं भी कोई विवाद हो तो उसे अच्छी तरीके से नेतृत्व करना चाहिए, तभी वह विवाद समाप्त होता है.
समाज और देश की बेहतरी के लिए लोगों को क्षमतावान बनाना होगा. स्कील ट्रेनिंग देकर रोजगार देना होगा. काफी मात्रा में युवाओं की ऊर्जा किसी दूसरे कार्यों में बर्बाद हो रही है, जिसे रोकना होगा. बेहतर इनफ्राक्ट्रक्चर की जरूरत है. समस्या और विवाद के मामले में त्वरित सुनवाई जरूरी है, तभी समाज का विकास संभव है.

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