East Singhbhum News : चांद दिखा, मस्जिदों में तरावीह की नमाज शुरू, रोजा आज से
रोजा रखना फर्ज, यह झूठ, हिंसा, बुराई, रिश्वत और तमाम बुराई से बचाता है
घाटशिला. शनिवार की शाम रमजान का चांद नजर आया. इसके साथ नमाज इशा के बाद घाटशिला अनुमंडल की मस्जिदों में तरावीह की नमाज शुरू हो गयी. रविवार को पहला रोजा होगा. पूरे महीने मुस्लिम समाज के लोग रोजा रखेंगे. नमाज, कुरान की तराबत के साथ पूरे माह इबादत में गुजारेंगे. घाटशिला, फूलपाल, मऊभंडार, नबावकोटी, गालूडीह, मुसाबनी, धालभूमगढ़-नरसिंहगढ़, चाकुलिया, बहरागोड़ा, डुमरिया, गुड़ाबांदा की मस्जिद गुलजार हो गयी. मुस्लिम समाज ने कहा कि रमजान महीने में पैगंबर मुहम्मद पर कुरान अवतरित हुआ था. यह इस्लाम के पांच स्तंभों में से एक उपवास का महीना है. रमजान में मुसलमान अपने विश्वास को मजबूत करते हैं. अपने दिलों को शुद्ध करते हैं. रमजान में मुसलमान अल्लाह के साथ अपने रिश्ते को मजबूत करते हैं. रमजान इस्लामी कैलेंडर का नौवां महीना होता है. रमजान में रोजा रखना फर्ज है. रोजा झूठ, हिंसा, बुराई, रिश्वत और अन्य तमाम गलत कामों से बचने की प्रेरणा देता है.
इस्लाम में पांच फर्ज
शहादा :
शहादा का मतलब है, ईश्वर के अलावा कोई ईश्वर नहीं है. मुहम्मद ईश्वर के दूत हैं.नमाज:
नमाज या सलात को हर मुसलमान को दिन में पांच बार पढ़ना होता है. ये वक्त हैं- फजर (तड़के), जोहर (दोपहर), असर (सूरज ढलने से पहले), मगरिब (सूरज छिपने के बाद) और ईशा (रात).रोजा :
रोजा रमजान में रखा जाता है. बीमारी, गर्भावस्था, माहवारी, यात्रा या अन्य समस्याओं में रमजान में रोजा नहीं रखने की छूट है.जकात:
जकात यानी दान करना. आमदनी से पूरे साल में बचत का 2.5 फीसदी हिस्सा जरूरत मंदों और गरीबों को दिया जाता है.हज:
हज यानी मक्का की तीर्थयात्रा. जो मुसलमान इतना पैसा रखते हैं कि वो सऊदी अरब में मक्का जा सकते हैं, उनके लिए जिंदगी में एक बार हज पर जाना जरूरी है.घाटशिला के इमाम
शनिवार को चांद दिखा. रमजान रविवार से शुरू होगा. रमजान में सभी मुसलमान रोजा रखते हैं. झूठ, फरेब से दूरी बनाकर रखते हैं. इस महीने में रात को विशेष नमाज अदा की जाती है, जिसे तरहाबी कहा जाता है, जो पढ़ना जरूरी है.
– मो. दाउद महमूदी, इमाम, नवाबकोठी अल खैर मस्जिद, घाटशिला——————————————रोजा के वक्त व्यक्ति को पाक साफ रहना चाहिए. रोजा रखने व नमाज पढ़ने वालों का गुनाह अल्लाह माफ करते हैं. जो रोजा के समय पांच वक्त का नमाज पढ़ता है. वह और बेहतर है. सिर्फ रोजा रख लेना और नमाज नहीं पढ़ना सही नहीं है.
– मो. मुमताज, इमाम, अलक्सा मस्जिद, फूलफाल, घाटशिला————————————-एक रोजा रखने पर 70 रोजे का सवाब मिलता है. सवाब नीयत से रोजा रखने वाले का गुनाह अल्लाह ताला बक्स देता है. ईद के दिन रोजा रखना मना है. इसके अलावे कभी भी रोजा रख सकते हैं. रमजान का रोजा हर बालिग पर फर्ज है.
– मो. साजिद राजा, हाफिज, मुस्लिम बस्ती, घाटशिला————————————–रमजान में पुरुष- महिला, बच्चे भी नमाज पढ़ सकते हैं. रोजा रखते हैं. इस महीने में कुरान भी पढ़ा जाता है. रोजा रखने, कुरान पढ़ने और पांच वक्त की नमाज पढ़ने वालों के लिए अल्लाहताला जन्नत का दरवाजा खोल देते हैं.
-एम रहमान, इमाम, मऊभंडार मस्जिदडिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है
