East Singhbhum News : बागवानी व पशुपालन से किस्मत बदल रहे किसान
डुमरिया. किसान अब धान के खेती पर ही आश्रित नहीं
डुमरिया. डुमरिया प्रखंड के किसान अब सिर्फ धान की खेती पर आश्रित नहीं हैं. अब बागवानी और पशुपालन से अपनी किस्मत बदल रहे हैं. प्रखंड के बारुनिया गांव ने नींबू की बागवानी के लिए जिले में अलग पहचान बना ली है. वहां के किसान नींबू की खेती कर लाखों कमा रहे हैं. दूसरी ओर आम की बागवानी कर आय बढ़ाने में कई किसान जुटे हैं. इनमें प्रगतिशील किसान कांटाशोल पंचायत के नूनिया गांव निवासी रामचंद्र सोरेन भी हैं. रामचंद्र सोरेन ने वर्ष 2009 में लगभग आम्रपाली प्रजाति के आम के 100 पौधे लगाये. तीन साल की देखरेख के बाद फल लगने लगे हैं. हर साल औसतन एक लाख रुपये का आम बेच रहे हैं.
रामचंद्र सोरेन ने बताया कि यह प्रजाति लगाने के तीन चार साल में फल देने लगता है. हर साल फल लगता है. इस बागवानी से हमें अपने दो बेटों को पढ़ाने में मदद मिली. आज बड़ा सुना सोरेन रेलवे में नौकरी कर रहा है, तो दुसरा महेश्वर सोरेन स्नातक तक पास करके प्रतियोगिता की तैयारी कर रहा है. रामचंद्र ने बताया जब हम आम के पौधे लगा रहे थे, तो आस पास की जमीन वालों को लग रहा था कि हम नुकसान कर रहे हैं. पहले इस जमीन में धान की खेती करते थे. बारिश समय पर नहीं होने पर धान बर्बाद हो जाती थी.सुकर और मुर्गी पालन से बढ़ायी आय
रामचंद्र सोरेन ने सुकर और देसी मुर्गी पालन में अलग पहचान बनायी है. नर-मादा मिलाकर आठ सुअर हैं. इससे हर साल लगभग एक लाख रुपये कमा लेते हैं. 40 दिन का सुकर बच्चा 4000 रुपये में घर से बिक जाता है. लोग घर आकर ले जाते हैं. बेचने के लिए कहीं जाना नहीं पड़ता है. घर में एक शेड बनाकर देसी मुर्गा का फार्म बना रखा है. उसमें भी 200 मुर्गियां हैं. इसमें दोहरा लाभ है. इसके अंडे बिकते हैं और मांस भी. सभी देसी प्रजाति के हैं, जो आसानी से बिक जाते है. रामचंद्र ग्राम प्रधान भी हैं. उनकी बागवानी और मुर्गी-सूकर पालन में उसकी पत्नी छीता सोरेन साथ देती हैं. वह हमेशा प्रोत्साहित करती हैं.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है
