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पेंशन के लिए पंचायतों में लगा विशेष शिविर

धालभूमगढ़ : प्रखंड अंतर्गत विभिन्न पंचायतों में बुधवार को विधवा, वृद्धा और अन्य पेंशनों की स्वीकृति के लिए विशेष शिविर लगायी गयी. बीडीओ पूनम कुजूर ने कोकपाड़ा-नरसिंहगढ़, पावड़ा-नरसिंहगढ़ पंचायत में लगाये गये कैंप का निरीक्षण किया. कनास पंचायत मंडप में चालू सत्र में स्वीकृत विधवा पेंशन का आदेश पत्र 91 वर्षीय बसुमति मंडल के साथ […]

धालभूमगढ़ : प्रखंड अंतर्गत विभिन्न पंचायतों में बुधवार को विधवा, वृद्धा और अन्य पेंशनों की स्वीकृति के लिए विशेष शिविर लगायी गयी. बीडीओ पूनम कुजूर ने कोकपाड़ा-नरसिंहगढ़, पावड़ा-नरसिंहगढ़ पंचायत में लगाये गये कैंप का निरीक्षण किया. कनास पंचायत मंडप में चालू सत्र में स्वीकृत विधवा पेंशन का आदेश पत्र 91 वर्षीय बसुमति मंडल के साथ अन्य लोगों को निर्गत किया गया. पंचायत प्रतिनिधियों से अपील की गयी कि शिविर में जो भी आवेदन प्राप्त हो रहे हैं. उन्हें आवश्यक कागजातों के साथ पूर्ण रूप से भर कर कार्यालय में जमा करायें. मौके पर कानास पंचायत के मुखिया पूर्ण चंद्र सिंह, वार्ड सदस्य गंगाधर पाल, बेहुला गोप, लुगू बास्के आदि मौजूद थे.

पत्थर खदान बंद, मजदूरों के सामने संकट
पर्यावरण स्वीकृति और लीज के चक्कर में बहरागोड़ा क्षेत्र के लगभग सभी पत्थर खदान बंद हो गये हैं. अवैध खनन रोकने के लिए उपायुक्त द्वारा गठित टास्क फोर्स की छापामारी से सभी अवैध खदान भी बंद हो गये हैं. इससे मजदूरों के समक्ष रोजगार का संकट पैदा हो गया है. खदानों के बंद होने के साथ मजदूरों के घरों के चूल्हे भी बंद हो गये हैं. क्षेत्र में करीब 3000 मजदूर ऐसे हैं, जो खदानों में पत्थर तोड़ कर अपना परिवार चलाते हैं. पिछले 15 दिनों से सभी खदान बंद हैं और मजदूर घर में बेकार बैठे हैं. ऐसे में मजदूर रोजगार की तलाश में अन्य राज्यों में पलायन का मन बना रहे हैं. खदानों के बंद होने से न सिर्फ मजदूर ही परेशान हैं. वरन इसका प्रतिकूल असर करोड़ों की लागत से स्वीकृत सरकारी योजनाओं पर भी पड़ रहा है.
एनएच 33 से सटे प्रखंड की रजलाबांध पंचायत के पाड़बेड़ा गांव में 52 ऐसे गरीब परिवार हैं, जिनकी रोजी-रोटी खदानों में पत्थर तोड़ने से ही चलता है. यहां के मजदूर वर्षों से खदानों में पत्थर तोड़ने का काम करते हैं. यहां के मजदूर शंभु काशी, रंजीत नायक, सुबोध नायक, कैलाश नायक, मयना नायक, नमीता नायक ने अपना दर्द बयां करते हुए कहा कि 15 दिनों से सभी खदान बंद है और वे घरों में बैठे हैं. बड़ी मुश्किल से एक वक्त माड़-भात मिल रहा है. बच्चों का बुरा हाल है. इन मजदूरों का कहना है कि वे क्या करें? रोजगार का कोई साधन नहीं है. मजदूरोंं ने कहा कि सरकार ने खदानों को तो बंद करवा दिया. अब हमारे लिए रोजगार की व्यवस्था करे. हमें काम दे.

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