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पहली बार 1996 में दुमका से किसी महिला ने लड़ा चुनाव, शिबू सोरेन की पत्नी रूपी सोरेन भी उतर चुकी है दंगल में

1996 में पहली बार दुमका लोकसभा सीट से किसी महिला ने चुनाव लड़ा था. लेकिन किसी भी महिला को यहां से राजनीतिक प्रतिनिधित्व का अवसर नहीं मिला था.


आनंद जायसवाल, दुमका : दुमका संसदीय क्षेत्र से पहली बार 1996 में किसी महिला प्रत्याशी ने चुनाव लड़ा था. शुरुआती 10 चुनाव में किसी महिला की भागीदारी नहीं थी. यहां से अब तक एक बार भी महिला सांसद नहीं बनी है. इस संसदीय क्षेत्र में न तो कभी भाजपा ने और न कभी कांग्रेस ने किसी महिला को उम्मीदवार बनाया है. यहां तक कि प्रारंभिक दस चुनावों में किसी भी राजनीतिक दल ने महिलाओं को राजनीतिक प्रतिनिधित्व का अवसर यहां नहीं दिया है. स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में भी महिलाएं चुनाव लड़ने के लिए दुमका सीट पर आगे नहीं आयी थीं.
1951 से लेकर 1991 तक महिलाओं की भागीदारी इस संसदीय क्षेत्र में नहीं रही.

आजादी के लगभग पांच दशक बाद 1996 के आम चुनाव में स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में हेलेन सोरेन ने दुमका संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ा, तो उन्हें 0.91 प्रतिशत वोट मिले. इस चुनाव में हेलेन को लेकर कुल 13 उम्मीदवार चुनाव मैदान में थे. 12 पुरुष थे. 1998 में छह प्रत्याशियों में से एक ललिता हेंब्रम को सपा ने उम्मीदवार बनाया, तो 1999 के चुनाव में झामुमो सुप्रीमो शिबू ने अपनी पत्नी रूपी सोरेन किस्कू को उस वक्त चुनाव मैदान में उतारा, जब वे खुद राज्यसभा सांसद थे. ऐसे में पत्नी को चुनाव मैदान में उन्हें उतारना पड़ा था.

हालांकि रूपी सोरेन तब भाजपा के उम्मीदवार बाबूलाल से चुनाव हारी थीं. रूपी सोरेन को 36.02% वोट मिले थे, जबकि बाबूलाल को 36.87 %. वोट का अंतर रहा था महज 4648. इस चुनाव में एजेबीपी नामक दल ने मायावंती किस्कू को चुनाव मैदान में उतारा था. 2004 के चुनाव में 10 में 1, 2009 में 19 में तीन, 2014 में 14 उम्मीदवारों में से 2 और 2019 के पिछले लोकसभा चुनाव में 15 उम्मीदवारों में से केवल दो ही महिला उम्मीदवार रहीं थी.

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