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दुमका : एसकेएमयू में एजुकेशन एंड एम्प्लॉयबिलिटी सेशन आयोजित, वक्ताओं ने कहा- शिक्षा से ही राष्ट्र निर्माण संभव

विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो डॉ बिमल प्रसाद सिंह का सुझाव स्किल एजुकेशन को बढ़ावा देने का बात की और कहा कि शिक्षा ऐसा होना चाहिए जो रोजगार के अवसर उपलब्ध कराये. शायंतनी बनर्जी ने सॉफ्ट स्किल के विभिन्न पहलुओं पर विस्तार से बात करते हुए सॉफ्ट स्किल 21वीं की आवश्यकता बताया.

दुमका : एसकेएमयू में शनिवार को एजुकेशन एंड इम्प्लॉयबिलिटी पर दो दिवसीय नेशनल कॉन्फ्रेंस शुरू हो गया. विश्वविद्यालय कैंपस में स्थित स्मारक टिल्हा पर वीर सिदो-कान्हू की प्रतिमा पर माल्यार्पण व कान्फ्रेंस हॉल में कुलपति व आगत अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलन के साथ शुरू हुआ. मुख्य अतिथि इंडियन पॉलिटिकल साइंस एसोसिएशन के जेनरल सेक्रेटरी और महात्मा गांधी सेंट्रल यूनिवर्सिटी मोतिहारी के पूर्व कुलपति प्रो डॉ संजीव कुमार शर्मा ने अपना वक्तव्य में आधुनिक शिक्षा प्रणाली में कई विरोधाभास होने की बात कहते हुए सामाजिक और पारिवारिक स्तर पर छात्रों की प्रतिभा को पहचानते हुए उसे बढ़ावा देना की बात कही. उन्होंने अपने वक्तव्य में आधुनिक शिक्षा व्यवस्था को भारतीय पारंपरिक शिक्षा व्यवस्था से जोड़ने की वकालत की और कहा कि शिक्षा व्यवस्था को ऐसी बनाने की जरूरत है जो बच्चों को श्रेष्ठ नागरिक बनाये ताकि श्रेष्ठ राष्ट्र का निर्माण हो सकें. डॉ हरिकेश सिंह ने कहा कि अगर किसी छात्र ने अभिवृत्ति, स्किल एवं ज्ञान प्राप्त कर लिया तो उसे रोजगार पाने से कोई नहीं रोक सकता. उन्होंने अपने वक्तव्य में आत्म योग, ज्ञानयोग, कर्मयोग और सहयोग के बारे में विस्तार से बात की. अध्यक्षीय भाषण में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो डॉ बिमल प्रसाद सिंह ने स्किल एडुकेशन को बढ़ावा देने का बात करते हुए कहा कि शिक्षा ऐसा होना चाहिए जो रोजगार के अवसर उपलब्ध कराये. इस कॉन्फ्रेंस के उद्घाटन समारोह के अंत में विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ संजय कुमार सिन्हा ने धन्यवाद ज्ञापन किया. इस दौरान मुख्य अतिथि डॉ संजीव कुमार शर्मा ने विश्वविद्यालय के प्रभारी कुलपति प्रो डॉ बिमल प्रसाद सिंह को अपना कुछ स्वलिखित पुस्तकें भेट की और फिर मंचासीन सभी अतिथियों ने कॉन्फ्रेंस का सोविनियर का अनावरण किया. इससे पूर्व कॉन्फ्रेंस के सचिव डॉ संजीव कुमार सिन्हा ने विषय प्रवेश कराया और अपने अभिभाषण में शिक्षा को रोजगार को महत्वपूर्ण कारक बताया. कहा नारायण मूर्ति, धीरूभाई अम्बानी जैसे व्यक्तियों से प्रेरणा लेने की आवश्यकता है.


स्थानीय भाषाओं और आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर बच्चों को दी जाये शिक्षा : प्रो सीबी शर्मा

पहले टेक्निकल सेशन डॉ हरिकेश सिंह की अध्यक्षता में सूरजजीत सिंह ने एनएलसी द्वारा रोजगार उत्पन्न करने के क्षेत्र में भूमिका को विस्तार से बताते हुए कहा स्किल डेवेलपमेंट सम्बन्धित कोर्स शुरू करना चाहिए ताकि शिक्षा संस्थानों से शिक्षित स्किल्ड छात्र निकले. दूसरे वक्ता के रूप में प्रो सीबी शर्मा ऑनलाइन जुड़े और एनईपी के विभिन्न आयामों पर बात करते हुए कहा एनईपी का शिक्षा मॉडल का शिक्षा मॉडल छात्रों को ज्यादा स्किल्ड बनाएगा. साथ ही उन्होंने कहा कि हायर एजुकेशन और स्कूली शिक्षा के बीच समन्वय स्थापित करने और स्थानीय भाषाओं और आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर बच्चों को शिक्षा दिए जाने की आवश्यकता है. दूसरा टेक्निकल सत्र डॉ संजीव राय के अध्यक्षता में हुई, जिसमें वक्ता के रूप में शायंतनी बनर्जी ने सॉफ्ट स्किल के विभिन्न पहलुओं पर विस्तार से बात करते हुए सॉफ्ट स्किल 21वीं की आवश्यकता बताया.तीसरे टेक्निकल सत्र में 10 शोधार्थियों में अपना रिसर्च पेपर पढ़ा. पूरे कार्यक्रम में मंच संचालन दुमका विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग की सहायक प्राध्यापिका अमिता कुमारी ने की. कार्यक्रम में लगभग 200 शोधार्थियों के अतिरिक्त विश्वविद्यालय के प्राध्यापक आदि ने भाग लिया.

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