आंदोलन. भाकपा-माले का प्रमंडलीय कार्यालय के समक्ष किया प्रदर्शन: कहा
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रद्द हो एसपीटी-सीएनटी में संशोधन विधेयक
आंदोलन. भाकपा-माले का प्रमंडलीय कार्यालय के समक्ष किया प्रदर्शन: कहा दुमका : भाकपा-माले की प्रमंडलीय इकाई ने गुरुवार को नौ सूत्री मांगों को लेकर आयुक्त कार्यालय के समक्ष धरना-प्रदर्शन किया. इससे पूर्व शहर में जुलूस निकाला गया, जो शहर के प्रमुख स्थानों से होते हुए प्रमंडलीय आयुक्त कार्यालय पहुंचा. यहां जुलूस सभा में तब्दील हो […]
दुमका : भाकपा-माले की प्रमंडलीय इकाई ने गुरुवार को नौ सूत्री मांगों को लेकर आयुक्त कार्यालय के समक्ष धरना-प्रदर्शन किया. इससे पूर्व शहर में जुलूस निकाला गया, जो शहर के प्रमुख स्थानों से होते हुए प्रमंडलीय आयुक्त कार्यालय पहुंचा. यहां जुलूस सभा में तब्दील हो गया. सभा को पूर्व विधायक विनोद सिंह ने संबोधित किया.
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पूंजीपतियों के हित में काम कर रही है. सदन में जहां कानून बनता है, वहां चर्चा न कराते हुए पिछले दरवाजे से राष्ट्रपति तक विधेयक पहुंचाया गया. राज्य की रघुवर सरकार भी पीएम को खुश रखने के लिए किसानों-रैयतों पर गोली चलवाकर उद्योगपतियों को लाभ पहुंचाने में लगी हुई है. ऐसी सरकार से जनता का भला नहीं हो सकता. भला होगा, तो केवल अडाणी-अंबानी का.
श्री सिंह ने कहा कि सरकार और विधानसभा का काम जनता के हितों के अनुरूप कानून बनाना है, लेकिन यह सरकार उनके खिलाफ ही कानून बना रही है. इस विरोध मार्च के जरिये सरकार पर अपने फैसले वापस लेने का दवाब बनाया जायेगा. उन्होंने 21 नवंबर को रांची में विधानसभा मार्च को सफल बनाने का आह्वान कार्यकर्ताओं से किया. धरना-प्रदर्शन के माध्यम से सरकार की नीतियों की जमकर आलोचना की गयी. प्रमंडलीय संयोजक गीता मंडल, देवघर के सहदेव प्रसाद यादव, अशोक महतो, दशरथ पंडित, जयदेव सिंह, दुमका के सुभाष चंद्र मंडल, पलटन हांसदा, रामेश्वर सोरेन, शालिनी टुडू, बाबूलाल राय व विभीषण राउत, जामताड़ा के सोमलाल मिर्धा, साहिबगंज के परशुराम सिंह आदि ने भी संबोधित किया.
सरकार बतायें इन संशोधन से क्या फायदा होगा: माले विधायक विनोद सिंह ने कहा कि राज्य सरकार को एसपीटी-सीएनटी जैसे कानूनों में संशोधन से पहले यह साफ करना चाहिए कि इन कानूनों में होने वाले बदलाव से आदिवासियों को क्या लाभ होगा? क्या जिनके पास जमीन नहीं है, उन्हें जमीन मिल पायेगी? जमीन मिलेगी तो टाटा, मित्तल, अडाणी, अंबानी को.
सबके लिए एक जैसी व्यवस्था क्यों नहीं : जब जनता के हित की बात होती है, तो सरकार एक कानून सबके लिए नहीं लागू करती. झारखंड में मनरेगा की न्यूनत्तम मजदूरी सबसे कम है. जनता को देने की बारी आती है, तो वह कम देना चाहती है, लेकिन वसूलना चाहती है अधिक. सड़क के बगल की जमीन सरकार अधिग्रहित करती है, तो सामान्य दर ही देती है. लेकिन जब रजिस्ट्री करानी होती है, तो सड़क किनारे की जमीन को आवासीय घोषित करती है और अधिक टैक्स वसूलती है.
न शिक्षा से न शिक्षक से रघुवर को सरकार मतलब : माले विधायक ने कहा कि रघुवर सरकार को न शिक्षा से मतलब है न शिक्षक से. राज्य में सरकारी शिक्षण व्यवस्था दो महीने से प्रभावित है. सरकार बेफिक्र है. मानो लगता है कि सरकार खुद ही सरकारी शिक्षण तंत्र को कमजोर करना चाहती है. आज भी संविदा पर नियुक्तियां हो रही है. पर टेट पास पारा शिक्षकों को वह योग्य नहीं मानती. अगर ऐसा है, तो क्यों आज भी संविदा पर नियुक्ति किये जा रहे हैं? संविदाकर्मियों को चतुर्थवर्गीय कर्मियों के वेतन के समान भी मानदेय नहीं दिया जा रहा है.
सरकार की नीति के विरोध में 21 को भाकपा-माले का रांची में विधानसभा मार्च
आयुक्त कार्यालय के समक्ष प्रदर्शन करते भाकपा माले के कार्यकर्ता व रैली में शामिल पूर्व विधायक विनोद सिंह व अन्य. फोटो । प्रभात खबर
प्रमुख मांगे
जनता को दी गयी पट्टे की जमीन की जमाबंदी रद्द करने की प्रक्रिया पर रोक लगायी जाये
लागू स्थानीयता नीति रद्द हो. 1932 के खतियान अथवा 1952 की मतदाता सूची के आधार पर नीति बने
बड़कागांव गोलीकांड की न्यायिक जांच हो. मृतक के आश्रित को 25 लाख व घायलों को पांच लाख मिले मुआवजा
भोगनाडीह में सिदो कान्हू की प्रतिमा को नुकसान पहुंचाने वालों को सजा मिले
मिन्हाज अंसारी हत्या मामले में दोषी दारोगा व अन्य पर 302 का मामला दर्ज हो
खुंटी गोलीकांड में गोली चलाने का आदेश देने वाले पदाधिकारी पर कार्रवाई हो
सरकार स्कूलों में कार्यरत रसोईया का स्थायीकरण हो व 18 हजार मासिक वेतन मिले
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