दुमका : अखिल भारतीय आदिवासी महासभा के पांचवें राष्ट्रीय सममेलन के दूसरे दिन सभा की शुरुआत क्रांतिकारी गीत के साथ तथा राष्ट्रीय सचिव रमेंद्र कुमार के द्वारा पूर्व महासचिव एबी वर्द्धन द्वारा रचित अनसुलझी जनजाति की समस्याएं का विमोचन किया गया. राष्ट्रीय महासचिव का प्रतिवेदन एवं श्री कुमार के द्वारा प्रस्तुत प्रतिवेदन रिपोर्ट को पशुपित कोल ने पेश किया.
सम्मेलन के एक अन्य सत्र में वक्ताओं ने आदिवासियों के साथ हो रहे शोषण एवं उत्पीड़न पर गहरा क्षोभ प्रकट किया. कहा कि वर्तमान केंद्र एवं राज्य सरकार जिस तरह से सीएनटी एवं एसपीटी एक्ट को संशोधित कर पूंजीपतियों एवं उद्योगपतियों को लाभ पहुंचाने की कोशिशों में जुटी है, उसके खिलाफ गोलबंद होना होगा. भूमि अधिग्रहण कानून को पास करा कर और पूंजिपतियों के इशारे पर आदिवासियों को उनके जमीन से बेदखल करने का मंसूबा इस सरकार ने पाल रखा है.
सम्मेलन में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, केरल, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल एवं झारखंड सहित नौ राज्यों के प्रतिनिधियों ने भी बारी-बारी से अपने विचारों को रखा. इस दौरान कन्हाई माल पहाड़िया, आदिवासी महासभा के राज्य कार्यकारिणी सदस्य परशुराम सिंह, आदिवासी महासभा के झारखंड राज्य उपाध्यक्ष शंभु मोहली, गोर रवानी, सेनापति मुर्मू, दीपक कुमार, रामलाल सोरेन, शारदा प्रसाद गुप्ता, रत्नाकर मांझी, मुनिलाल मोहली, विनय मोहली आदि मौजूद थे.