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जेएमएम-12//हम माय माटी छोड़ब नाही….जंगल छोड़ब नाही…लड़ाई छोड़ब नाही..

प्रतिनिधि, दुमकाझारखंड मुक्ति मोरचा के 36 वें झारखंडी संस्कृति की छटा भी खूब बिखेरी गयी. मधु मंसूरी ने जब अपने नागपुरी गीत के जरिये झारखंड आंदोलन के शहीदों को नमन किया- गांव छोड़व नहीं, जंगल छोड़व नाहीं, माय-मांटी छोड़व नाहीं…जल, जंगल व जमीन के प्रति आदिवासियों के प्रेम को प्रकट किया, तो खूब तालियां बजी. […]

प्रतिनिधि, दुमकाझारखंड मुक्ति मोरचा के 36 वें झारखंडी संस्कृति की छटा भी खूब बिखेरी गयी. मधु मंसूरी ने जब अपने नागपुरी गीत के जरिये झारखंड आंदोलन के शहीदों को नमन किया- गांव छोड़व नहीं, जंगल छोड़व नाहीं, माय-मांटी छोड़व नाहीं…जल, जंगल व जमीन के प्रति आदिवासियों के प्रेम को प्रकट किया, तो खूब तालियां बजी. पिछले कई वर्षों से मधु मंसूरी अपने इस गीत से इस कार्यक्रम में जल, जंगल और जमीन की आवाज को बुलंद करते रहे हैं. इधर मजबून खान ने शिबू सोरेन जिंदाबाद… हेमंत सोरेन जिंदाबाद… गाना गाया. रांची से पहुंची कलाकार मोनिका ने भी दिशोम गुरु महान….बोल से जुड़ा रंगारंग कार्यक्रम पेश किया. मधुपुर के मुंशी टुडू ने हूल से जुड़ा संताली गीत पेश किया. दुमका, पाकुड़ और रांची के लोक कलाकारो ने भी अपने गीत और संगीत के जरिये झारखंड की सांस्कृतिक विरासतों की प्रस्तुति से अद्भुत समां बांधा. कई स्थानीय लोक कलाकारों की टोली ने भी पारंपरिक संताली नृत्य पेश किया. ……………….संबंधित तस्वीरें

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