28.7 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Trending Tags:

Advertisement

नक्सली कांडों में जेल की हवा खा चुके रामचंद्र के साथ ऐसा क्या हुआ कि बदल गयी जिंदगी

झारखंड के धनबाद के रहने वाले नक्सली कांडों के आरोपी रामचंद्र राणा ने वर्ष 2003 में जेल से रिहा होने के बाद खेती बारी को आधार बनाया. ये तालाब में मछली पालन करते हैं. बाड़ी में सब्जी उगाते हैं. खेती-बारी में ही रम गये हैं. वे वर्तमान में आजसू के टुंडी प्रखंड अध्यक्ष भी हैं.

Jharkhand News, धनबाद न्यूज (भागवत दास) : झारखंड के धनबाद में कभी पुलिस की नजर में नक्सलियों का एरिया कमांडर रह चुके एक शख्स ने जीवन की मुख्य धारा से जुड़कर खेती बारी को अपना हथियार बनाते हुए बाकी की जिंदगी सुख चैन से बिताने का संकल्प लिया है. नाम है रामचंद्र राणा. अच्छी खेती बारी से वे दूसरे लोगों के लिए प्रेरणा बन गये हैं.

झारखंड के धनबाद जिले के दक्षिणी टुंडी के घोर नक्सल प्रभावित बेगनरिया पंचायत अन्तर्गत चुनुकडीहा गांव के रामचन्द्र राणा की प्रारम्भिक शिक्षा शहीद शक्तिनाथ महतो के घर पर रहकर हुई थी. इनके पिता सकरु राणा और माता रुदी देवी शक्तिनाथ महतो के यहां रहा करते थे और वहीं से प्रेरणा लेकर अपने गांव चुनुकडीहा में भी गरीब और आदिवासी बच्चों के लिए स्कूल खोलने की मांग धनबाद के तत्कालीन उपायुक्त सुधीर कुमार से साल 1992 में बेगनरिया में आयोजित वन महोत्सव के दौरान की थी.

Also Read: Sarkari Naukri 2021 : झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार करेगी नौकरियों की बरसात, 1 लाख पदों पर होगी बहाली

गांव के युवाओं को लेकर श्रमदान से स्कूल खोलने के जज्बे को देखकर उसी वर्ष उन्हें प्रशंसा पत्र भी दिया गया. क्षेत्र में इन्हें इस कार्य के लिए अच्छी पहचान मिली. 1994 में गुवाकोला पंचायत के मुखिया टिकैत चौधरी हत्याकांड के साथ साथ विभिन्न तरह की माओवादी गतिविधियों में संलिप्तता के आरोप लगे और 90 दिनों के लिए इन्हें जेल जाना पड़ा. जेल से बाहर आकर झामुमो के मार्डी गुट में रहकर राजनीतिक सक्रियता बढ़ी.

Also Read: Dhanbad Judge Murder Case : झारखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस CBI जांच की करेंगे
निगरानी

फिर साल 2001 में हुए तोपचांची पुलिस हत्याकांड में भी इनका नाम जोड़ा गया और इसी घटना के आधार पर चुनुकडीहा स्थित इनके मिट्टी के घर को घेरकर पुलिस द्वारा ध्वस्त कर दिया गया. इस कांड में भी रामचन्द्र राणा गिरफ्तार हुए और 2 साल के लिए जेल जाना पड़ा. 9 साल के दरम्यान छोटे-बड़े लगभग एक दर्जन आपराधिक मामले दर्ज होने के कारण इनके परिवार की आर्थिक स्थिति दयनीय होती गई. जमानत कराने के लिए जमीन, हल-बैल आदि बेचना पड़ गया.

Also Read: झारखंड में किशन ने शौक से शुरू किया गौपालन, गिर गाय के दूध की इस वजह से बढ़ने लगी डिमांड

साल 2003 में जेल से रिहा होने के बाद इन्होंने खेती बारी को आधार बनाया. खेती के प्रति इनके रुझान को देखकर पिछले वर्ष इन्हें मनरेगा योजना के तहत आम बागवानी दी गई और आम की विभिन्न प्रजातियों के 150 पौधे लगाए हैं, जबकि दो वर्ष पहले से ही इनके जमीन पर लंगड़ा, मालदा, आम्रपाली, दूधिया लंगड़ा आदि प्रजाति के आम फल रहे हैं. रामचंद्र राणा ने बताया कि इस वर्ष उन्होंने लगभग 10 क्विंटल आम बेचे. इसके अलावा तालाब में मछली पालन, बाड़ी में सब्जी आदि लगाकर फिलहाल खेती-बारी में ही व्यस्त रहते हैं. वे वर्तमान में आजसू के टुंडी प्रखंड अध्यक्ष भी हैं.

Posted By : Guru Swarup Mishra

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें