स्ट्रेस, अनहेल्दी लाइफ से बचें, पौष्टिक आहार लें, ‘स्वस्थ बेटियां खुशहाल परिवार’ में डॉक्टर की सलाह

Healthy Daughters Happy Family: वर्तमान समय में बेटियों में पीसीओडी की समस्या बढ़ती जा रही है. पीसीओडी यानी पॉलीसिस्टिक ओवरी डिसऑर्डर. इस डिसऑर्डर के दौरान हार्मोनल बदलाव होता है. इस कारण मोटापा, अनियमित मासिक, चेहरे पर बाल आना, सिरदर्द होना, नींद न आना, मूड स्विंग, माइग्रेन की शिकायत होती है.

By Mithilesh Jha | August 19, 2025 10:19 PM

Healthy Daughters Happy Family: हाउसिंग कॉलोनी स्थित धनबाद विकास विद्यालय में मंगलवार को प्रभात खबर की ओर से स्वास्थ्य जागरूकता कार्यक्रम ‘स्वस्थ बेटियां खुशहाल परिवार’ कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इसमें स्त्री व प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ निकिता सिन्हा ने बेटियों को मिनार्की के साथ इस उम्र में होनेवाली अन्य समस्याओं के समाधान बताये. कार्यक्रम में स्कूल की छात्राओं ने चिकित्सक से कई सवाल भी पूछे. चिकित्सक ने भी छात्राओं के विभिन्न सवालों के जवाब दिये. उन्हें स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहने और स्वच्छता को लेकर टिप्स दिये. स्कूल के प्राचार्य, शिक्षिकाओं ने प्रभात खबर के इस कार्यक्रम की सराहना की. सभी का कहना था कि प्रभात खबर अपनी सामाजिक, शैक्षणिक जिम्मेवारियों के साथ ही छात्राओं के लिए हेल्थ अवेयरनेस कार्यक्रम का आयोजन कर प्रसंशनीय कार्य कर रहा है.

मिनार्की की दी जानकारी

डॉ निकिता ने बताया कि भारतीय परिवेश में 11 से 13 साल की उम्र में मासिक शुरू होता है. इसे मिनाकीं कहते हैं. हालांकि बदलते लाइफ स्टाइल व पर्यावरण प्रदूषण के कारण नौ साल में भी पीरियड्स शुरू हो जा रहे हैं. छठी व सातवीं कक्षा के बीच की बेटियां मिनार्की के करीब होती हैं. पहला मासिक जब आता है, उसे मिनार्की कहते हैं. मासिक के समय पेट दर्द अधिक हो, मासिक की तिथि में अनियमितता है, ज्यादा परेशानी हो, तो चिकित्सक से मिलें. उन दिनों सेनेटरी नैपकिन का इस्तेमाल करें. चार घंटे में उसे बदलें. ह्वाइट डिस्चार्ज की परेशानी हो, तो छिपायें नहीं, तत्काल परिजन को बतायें. पीरियड्स के पहले या बाद में ऐसी समस्या होती है. अधिक चक्कर आने पर हीमोग्लोबिन की जांच करायें. शरीर में खून की कमी होने से भी चक्कर आता है.

सोशल मीडिया में ज्यादा एक्टिव न रहें

वर्तमान समय में बेटियों में पीसीओडी की समस्या बढ़ती जा रही है. पीसीओडी यानी पॉलीसिस्टिक ओवरी डिसऑर्डर. इस डिसऑर्डर के दौरान हार्मोनल बदलाव होता है. इस कारण मोटापा, अनियमित मासिक, चेहरे पर बाल आना, सिरदर्द होना, नींद न आना, मूड स्विंग, माइग्रेन की शिकायत होती है. पीसीओडी से बचने के लिए सबसे पहले लाइफ स्टाइल में बदलाव लायें, पौष्टिक आहार लें, मेडिटेशन व योगा नियमित करें, भावनात्मक तनाव न पाले नकारात्मक विचार से बचें. सोशल मीडिया पर ज्यादा सक्रिय न रहें. फिजिकल वर्क करें.

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पेपीलोमा वायरस से होता है सर्वाइकल कैंसर

सर्वाइकल कैंसर पेपीलोमा वायरस से होता है. इससे बचने के लिए वैक्सीनेशन जरूरी है. नौ साल से 45 साल तक इसके पांच डोज लगाये जाते हैं. नौ से चौदह साल में दो,18 से 45 साल में तीन डोज लगते हैं. हर आठ में से एक महिला की मौत सर्वाइकल कैंसर से होती है. महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर व सर्वाइकल कैंसर से सबसे अधिक मौत होती है. इसलिए अपने पैरेंट्स को इस वैक्सीनेशन की जानकारी देकर इसका डोज लगवा लें.

बैलेंस डायट लेने का दिया सुझाव

बढ़ती हुई उम्र में बेटियों को खाने में आयरन, विटामिन व मिनरल, प्रोटीन की जरूरत अधिक होती है. मोरिंगा आयरन का सबसे अच्छा स्रोत हैं. वहीं ब्रोकली, लाल साग, खजूर, सलाद पत्ता, पालक, गुड़, बीट, राजमा, बादाम खायें. विटामिन सी के लिए मटर, शिमला मिर्च, संतरा, नींबू, हरी मिर्च व आंवला का उपयोग करें. प्रोटीन के लिए ड्राय फ्रूट्स, अंडा, दूध, दही, दाल, मटर का सेवन करें. पौष्टिक व संतुलित आहार लें. पास्ता, चाउमिन, बर्गर, कोल्डड्रिंक्स से परहेज करें.

छात्राओं के सवाल

छात्राओं ने अनियमित मासिक, मोटापा, मूड स्वींग, ओवर थिंकिंग, पेट दर्द होने से संबंधित सवाल चिकित्सक से पूछे.

चिकित्सक का जवाब

डॉ निकिता ने छात्राओं के सवाल पर कहा कि मासिक के समय शरीर में हार्मोनल बदलाव आते हैं. मासिक 28 दिन का चक्र होता है. मासिक के समय पेट दर्द, खाने की इच्छा न होना, अकेले रहने का मन करना, बेवजह उदासी आदि समस्याएं आती है. सबसे पहले इस बात को ठीक से समझना होगा कि आधी आबादी के लिए मासिक ईश्वरीय देन है. इसका मतलब है, हमारा शरीर स्वस्थ है. खुशहाल जीवन के लिए शारीरिक मानसिक व सामाजिक लाइफ में संतुलन जरूरी है. मासिक के समय सामान्य दिनों की तरह काम करें, खाना न छोड़ें, ओवर थिंकिंग से बचें, मनपसंद संगीत सुनें, खुद को व्यस्त रखें.

सराहनीय है अभियान : प्रशांत सिंह

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हेल्थ अवेयरनेस प्रोग्राम बेटियों की जरूरत है. प्रभात खबर की ओर से बेटियों के लिए बहुत ही उपयोगी अभियान चलाया जा रहा है. चिकित्सक ने बेटियों का न सिर्फ मार्गदर्शन किया, बल्कि समस्या का समाधान भी बताया. प्रभात खबर का धन्यवाद.

जरूरी है मार्गदर्शन : कंचन कुमारी

शिक्षिका कंचन कुमारी ने कहा कि स्वास्थ को लेकर प्रभात खबर का अभियान सराहनीय है. बेटियों की जिज्ञासा को चिकित्सक ने शांत किया. उनकी समस्या को ध्यान से सुनकर उसका समाधान किया. इस उम्र में बेटियों का मार्गदर्शन बहुत जरूरी है.

बेटियों को मिल रही जरूरी जानकारी : काकुली कर

शिक्षिका काकुली कर ने कहा कि बेटियां स्वभाव से संकोची होती हैं. अपनी समस्या खुलकर नहीं कह पाती. ऐसे जागरूकता कार्यक्रम के माध्यम से उनका संकोच दूर होता है. अपनी समस्या को लेकर जागरूक होती हैं. सच में प्रभात खबर बेटियों तक जरूरी जानकारी पहुंचा रहा है.

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Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.