धनबाद : सुगर मरीज की आंख, दिल, किडनी, मस्तिष्क व निचले अवयवों को आघात पहुंचाता है. इसमें आंख काफी प्रभावित होती है. समय से पहले सुगर के कारण मरीज अंधापन का शिकार हो जाता है. इसलिए इस वर्ष विश्व मधुमेह दिवस का थीम ‘आइस इन डायबिटिज’ है. उक्त बातें एपीआइ के राज्य के चेयरमैन व डीएचआरसी के निदेशक डाॅ एनके सिंह ने प्रेस वार्ता में कही.
उन्होंने कहा कि पांच से दस वर्ष सुगर के मरीज को प्रोलाइफरेटिव रेटिनोपैथी हो जाती है, इसकी सालाना जांच जरूरी है. इसे फंडोस्कॉपी की मदद से देखा जा सकता है. समय रहते इलाज किया जा सकता है. मौके पर डॉ लीना सिंह, रमेश गांधी, शकील अहमद, अजीत कुमार आदि मौजूद थे.
बदल रहा टाइप वन व टू डायबिटिज : डॉ सिंह ने बताया कि टाइप वन व टू डायबिटिज तेजी से बदल रहा है. टाइप वन पहले 30 के उम्र के नीचे होता था, अब 60 के उम्र के लोगों को होने लगा है. वहीं टाइप टू डायबिटिज बड़े की जगह दस से 20 साल के लोगों को होने लगा है. इसका कारण अनाज व सब्जियों व फलों में कीटनाशक का प्रयोग, शारीरिक श्रम शून्य, फास्ट व जंक फूड, अनियमित जीवन शैली इसके लिए दोषी है.
मांस में नहीं जाता है इंसुलिन
डॉ सिंह ने बताया कि नियमित आधा घंटा तेज चलें, इससे अच्छा व सस्ता इलाज नहीं है. पेट में पैंक्रियाज में बीटा सेल होते हैं, जो इंसुलिन बनाते हैं, इंसुलिन खून से मांस में जाता है. मांस में जाकर यह एनर्जी पैदा करता है. लेकिन कम परिश्रम करने वाले के मांस में इंसुलिन नहीं जा पाता है. मांस के बाद एक गेट होता है, जो नहीं खुलता है. शारीरिक श्रम से यह गेट स्वत खुल जाता है.