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फॉर्म भरने का सीजन और सबमिट नहीं ले रहा सिस्टम

धनबाद: अभी राज्य व केंद्र सरकार की कई नियुक्तियां आयी हैं. निजी कंपनियों में भी वैकेंसी है. छात्रवृत्ति के लिए राज्य सरकार की ओर से विद्यार्थियों से आवेदन मांगा गया है. आवेदकों से आवेदन के साथ जाति, आवासीय या इनकम सर्टिफिकेट देना अनिवार्य है. अभी ये सारे सर्टिफिकेट प्रज्ञा केंद्र में ही बनते हैं, लेकिन […]

धनबाद: अभी राज्य व केंद्र सरकार की कई नियुक्तियां आयी हैं. निजी कंपनियों में भी वैकेंसी है. छात्रवृत्ति के लिए राज्य सरकार की ओर से विद्यार्थियों से आवेदन मांगा गया है. आवेदकों से आवेदन के साथ जाति, आवासीय या इनकम सर्टिफिकेट देना अनिवार्य है. अभी ये सारे सर्टिफिकेट प्रज्ञा केंद्र में ही बनते हैं, लेकिन पिछले 11 दिनों से जिले के सभी 379 केंद्र में नया आवेदन नहीं लिया जा रहा है. पुराने काम में कोई दिक्कत नहीं है. नये आवेदन को सिस्टम सबमिट नहीं ले रहा है.
फलस्वरूप अभ्यर्थी प्रज्ञा केंद्रों से निराश होकर लौट जा रहे हैं. दूसरे दिन भी वह इस उम्मीद लेकर वह दूसरे प्रज्ञा केंद्र जा रहे हैं. लेकिन, उन्हें केवल निराशा हाथ लग रही है. उन्हें भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. इस दौरान कई अभ्यर्थियों की फॉर्म भरने की अंतिम तिथि पार हो गयी, पर सिस्टम ठीक नहीं हुआ. ग्रामीण क्षेत्र के सभी 256 केंद्रों में एक जगह भी फॉर्म सबमिट नहीं हो पा रहा है. गोविंदपुर प्रखंड के आसनबनी-एक पंचायत के प्रज्ञा केंद्र संचालक शेखर महतो व गोविंदपुर प्रखंड परिसर अवस्थित केंद्र के संचालक तपन मंडल ने बताया कि हर दिन एक सौ से अधिक छात्र-छात्राएं या उनके अभिभावक सर्टिफिकेट बनाने के लिए आ रहे हैं. लेकिन हम उनसे सरकार की फीस (30 रुपये) लेकर रसीद नहीं दे पा रहे हैं, क्योंकि रसीद कटने के साथ ही आवेदन को स्कैन कर जैसे ही सिस्टम में सबमिट कर रहे हैं, वह ओके नहीं हो रहा है. यह हाल पिछले 11 दिनों से है. कब ठीक होगा, इसका कोई ठिकाना नहीं है. पूरे जिले में यही हाल है. नगर निगम क्षेत्र के प्रज्ञा केंद्रों में आवेदक लौट जा रहे हैं. गोविंदपुर के संचालक अभिमन्यु मंडल ने बताया वे लोग इसका सटीक कारण नहीं बता पायेंगे. जिला समन्वयक से लेकर प्रशासन तक को इसकी सूचना दे दी गयी है. बच्चों को केंद्र से लौटाने में उन्हें काफी खराब लग रहा है.
सॉफ्टवेयर अपडेट के कारण परेशानी
इस संबंध में जिला समन्वयक राजेंद्र महतो ने बताया कि संभवत: सरकार की ओर से डोमिसाइल सर्टिफिकेट (आवासीय प्रमाण पत्र) का फॉरमेट चेंज किया जा रहा है. इसके कारण सॉफ्टवेयर अपग्रेड किया जा रहा है. इसलिए अभ्यर्थियों के साथ-साथ प्रज्ञा केंद्र संचालकों को परेशानी हो रही है. इन महीनों में सर्टिफिकेट हर साल अधिक बनते हैं, यह वैकेंसी का सीजन होता है. उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन को अभ्यर्थियों की परेशानी को देखते हुए मैनुअल सर्टिफिकेट(ऑफ लाइन) बनाने की व्यवस्था करनी चाहिए.
क्यों नहीं बन रहे, पता लगा रहे हैं : एसडीओ
इस संबंध में सदर एसडीओ महेश कुमार संथालिया ने कहा कि प्रज्ञा केंद्रों में नया सर्टिफिकेट के लिए आवेदन क्यों नहीं लिया जा रहा है, इसको कल ही दिखवाता हूं. बड़ी दु:खद बात है. मेरे यहां से आज भी साढ़े तीन सौ प्रमाण पत्र ऑन लाइन निर्गत किये गये हैं. बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ नहीं किया जा सकता है. रही बात ऑफ लाइन प्रमाण पत्र की तो, उसे सरकार मान्यता नहीं देती. इसलिए अभी बन भी जाता है तो बाद में ऑन लाइन बनाना पड़ेगा.

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