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महाप्रबंधक सीएमसी पर प्रबंधन की मेहरबानी क्यों?

धनबाद: कोल इंडिया की सहायक कंपनी बीसीसीएल में कुछ भी संभव है. जैसी पहुंच व पैरवी, वैसी ही कार्रवाई होती है. जी हां, यहां सबके लिए अलग-अलग नियम काम करता है. यहां अगर हम कहे कि ‘एक आंख में काजल, दूसरे में सुरमा’ तो गलत नहीं होगा. कंपनी का एक ऐसा ही मामला प्रकाश में […]

धनबाद: कोल इंडिया की सहायक कंपनी बीसीसीएल में कुछ भी संभव है. जैसी पहुंच व पैरवी, वैसी ही कार्रवाई होती है. जी हां, यहां सबके लिए अलग-अलग नियम काम करता है. यहां अगर हम कहे कि ‘एक आंख में काजल, दूसरे में सुरमा’ तो गलत नहीं होगा. कंपनी का एक ऐसा ही मामला प्रकाश में आया है. कंपनी उच्च प्रबंधन ने सीबीआइ की एग्रीड लिस्ट का हवाला देते हुए कुसुंडा के तत्कालीन महाप्रबंधक एके सिंह का तबादला तत्काल प्रभाव से संवेदनशील पद से असंवेदनशील पद महाप्रबंधक (सुरक्षा) के पद पर कर दिया है.
सीबीआइ की उसी एग्रीड लिस्ट में कोयला भवन में अतिसंवेदनशील पद महाप्रबंधक (सीएमसी) के पद पर पदस्थ एसके दास का भी नाम है. बावजूद इसके कंपनी उच्च प्रबंधन द्वारा उन पर किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं की गयी. आधिकारिक सूत्रों की माने तो सीबीआइ की एग्रीड लिस्ट में जीएम एसके दास का नाम होने की जानकारी कंपनी के सीएमडी (अतिरिक्त प्रभार) एन कुमार को बीसीसीएल के सतर्कता आयुक्त (सीवीओ) द्वारा भी दी गयी थी, बावजूद इसके कोई कार्रवाई नहीं हुई.
चर्चा का विषय: कार्रवाई के मामले में उच्च प्रबंधन की यह दोहरी नीति कंपनी के अधिकारियों में चर्चा का विषय बनी हुई है. सवाल खड़ा है कि सीबीआइ एग्रीड लिस्ट का हवाला देते हुए जब जीएम (कुसुंडा) का तबादला कर दिया गया, तो फिर जीएम (सीएमसी) एसके दास पर कंपनी उच्च प्रबंधन क्यों मेहरबानी क्यों दिखा रहा है? कायदे से सीबीआइ एग्रीड लिस्ट में नामित अधिकारियों की तत्काल संवेदनशील से असंवेदनशील पद पर पदस्थापना होनी चाहिए.
विधायक ने की कार्रवाई की मांग : इस बाबत धनबाद के विधायक राज सिन्हा ने कोयला मंत्री पीयूष गोयल को पत्र लिख कर मामले की शिकायत की है और कार्रवाई की मांग की है. पत्र में विधायक श्री सिन्हा ने बताया कि बीसीसीएल के महाप्रबंधक (सीएमसी) एके दास का पद अतिसंवेदनशील है. बीसीसीएल में माइनिंग के बड़े-बड़े टेंडर इसी विभाग के माध्यम से किये जाते हैं. पत्र में श्री सिन्हा ने आरोप लगाया है कि जीएम श्री दास इस पद रहते हुए अपने चहेते ठेकेदारों (संवेदकों) को काम आवंटित कराने में कोई कसर नहीं छोड़ते. जिन ठेकेदारों से उन्हें लाभ नहीं होता, उनकी फाइल को कुछ-ना-कुछ अड़चन लगा कर फंसा देते हैं. विधायक श्री सिन्हा ने कहा कि सीबीआइ एग्रीड लिस्ट में नाम होने के बावजूद उन पर कार्रवाई नहीं होना इस बात की ओर इशारा करता है कि उनकी पहुंच व पैरवी काफी ऊपर तक है. विधायक श्री सिन्हा ने जीएम (सीएमसी) श्री दास के कार्यकाल में हुए सारे टेंडरों की जांच कराने और दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग की है.
क्या होती है सीबीआइ की एग्रीड लिस्ट
सीबीआइ अक्सर किसी अफसर का नाम संदिग्ध अफसरों की ऐसी सूची में डाल देती है, जिससे उसकी हर कदम पर निगरानी शुरू हो जाती है. इसे सीबीआइ की एग्रीड लिस्ट कहते हैं और उसकी जानकारी गोपनीय रखी जाती है. लेकिन अक्तूबर, 2015 में केंद्रीय सूचना आयोग के एक फैसले के बाद यह सूची गोपनीय नहीं रहती. केंद्रीय सूचना आयोग ने जोधपुर के पूर्व सहायक आयकर अधिकारी टीसी गुप्ता के मामले में फैसला देते हुए सीबीआइ को निर्देश दिया था कि वह जिस अफसर की निगरानी कर रही है, उसे यह बताना होगा कि ऐसा क्यों किया जा रहा है? इसे गोपनीय नहीं माना जायेगा.
अतिसंवेदनशील है महाप्रबंधक सीएमसी का पद
बताते हैं कि बीसीसीएल के महाप्रबंधक (सीएमसी) का पद अतिसंवेदनशील है. कारण यहां से बीसीसीएल के माइनिंग का सारा टेंडर होता है. श्री दास इस पद पर लंबे समय से जमे हुए हैं.

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