धनबाद: बीसीसीएल ने इनवायरमेंट क्लीयरेंस की एक बड़ी बाधा पार कर ली है. कंपनी की मुनीडीह व कुसुंडा खदानों को इनवायरमेंट क्लीयरेंस मिल गया है. मंगलवार को डीटी (ऑपरेशन) डीसी झा के पास इस संबंध में आदेश पहुंच गया. वन व पर्यावरण मंत्रलय ( एमओइएफ) की ओर से यह आदेश जारी किया गया है. ये खदानें कलस्टर ग्यारह व छह के अंतर्गत आती हैं. अब कंपनी की एक और कलस्टर को क्लीयरेंस मिलना बाकी है.
एक तरह का लाइसेंस है : इनवायरमेंट क्लीयरेंस एक तरह से खनन लाइसेंस है. 2006 में एक गजट अधिसूचना ( नोटिफिकेशन) के जरिये खनन व पर्यावरणमंत्रालयने इसे अनिवार्य कर दिया था. इसके बाद ही खनन की अनुमति दी जा सकती है. सरकार की ओर से एक्सपर्ट एप्रेजल कमेटी गठित की गयी है. कमेटी ने ही इनवायरमेंट इम्पैक्ट एसेसमेंट(इआइए) के तहत कलस्टर कांसेप्ट लागू किया था.
क्लोजर आर्डर जारी हुआ था : इनवायरमेंट क्लीयरेंस न होने पर झारखंड हाइकोर्ट ने बीसीसीएल की खदानों का क्लोजर आर्डर जारी कर दिया था. बाद में बीसीसीएल ने अपील दायर की थी. इस पर हाइ कोर्ट ने अंतरिम आदेश जारी करते हुए यथा स्थिति बहाल करने का आदेश दिया था. बीसीसीएल में 103 खदानें हैं. इनमें इनमें 65 संचालित (ऑपेरेटिंग), 34 बंद( क्लोज्ड) व 4 प्रस्तावित (प्रपोस्ड) खदानें हैं.
सदन में उठा मामला : लोक सभा में फायर एरिया का मामला उठा. केंद्रीय वन व पर्यावरण राज्य मंत्री जयंती नटराजन ने कहा – झरिया के अग्नि प्रभावित इलाके में पुनर्वास की जिम्मेवारी जेआरडीए व बीसीसीएल की है. 595 प्रभावित क्षेत्र से गैर-बीसीसीएल परिवारों का पुनर्वास किया जाना है. झरिया मास्टर प्लान के तहत इसे धरातल पर उतारा जायेगा.मंत्रालय