धनबाद: बेरोजगारी की मार ने देश में रोजगार मूलक शिक्षा की विचित्र ललक जगा दी है. ऐसे में प्रतियोगी परीक्षाओं में शामिल हुए बिना इंजीनियरिंग में डायरेक्ट एडमिशन से एक बड़ा बाजार बना है. शिक्षा की इसी दुकानदारी का भंडाफोड़ धनबाद के सरायढेला स्थित इंडियन स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग एंड मैनेजमेंट में प्रमाणपत्र को लेकर हुए विवाद के बाद हुआ है. यहां प्रति छात्र 1.80 लाख रुपये ले कर 250 छात्र डिप्लोमा की पढ़ाई पूरी करने के बाद सभी प्रमाणपत्र से वंचित रहे. पुणो की कंपनी द्वारा अपने यहां प्रमाणपत्र के अभाव में प्रशिक्षण ले रहे इन छात्रों को निकालने के बाद यह विवाद प्रकाश में आया. छात्रों ने संस्थान निदेशक जमुई के धरमपुर निवासी मंटू यादव को सरायढेला पुलिस को सौंप दिया है.
मामले को ले संस्थान के निदेशक व रांची स्थित बिरसा इंस्टीटय़ूट ऑफ टेक्नॉलॉजी ट्रस्ट के डायरेक्टर रंजीत कुमार के खिलाफ पुलिस में शिकायत की गयी है. रूपेश कुमार (खगड़िया) दीपक कुमार (दीपुगड़ा, हजारीबाग), नीरज कुमार पाल (सीवान), मिहनाज आलम, रोहित कुमार निषाद (बेगुसराय) रवि कुमार (हिलसा), रियाजुद्दीन (बरकट्टा, हजारीबाग), रंजीत कुमार (औरंगाबाद) समेत दर्जनों छात्र सरायढेला थाना पहुंचे हुए थे.
क्या है मामला : सरायढेला की नीलांचल कॉलोनी स्थित इंडियन स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग एंड मैनेजमेंट में डिप्लोमा की डिग्री के नाम पर ढाई सौ छात्रों ने छह सेमेस्टर की पढ़ाई पूरी कर ली. वर्ष 2009 नामांकित छात्रों को 2012 में पास बता पुणो की एक कंपनी में ट्रेनिंग को भेजा गया. एक वर्ष बीत जाने के बाद भी छात्र प्रमाण पत्र जमा नहीं कर सके तो ट्रेनिंग ले रहे छात्रों को कंपनी ने लौटा दिया. पीड़ित छात्रों का कहना है कि संचालक सर्टिफिकेट के एवज में 70 हजार रुपये मांग रहे हैं. पीड़ित छात्रों ने नाटकीय तरीके से बिहार के जमुई जिले के चंद्रदीप थाना क्षेत्र के घरमपुर गांव निवासी डायरेक्टर मंटू यादव को बुला कर सरायढेला पुलिस को सौंप दिया है.
ठगी के शिकार छात्र बिहार व झारखंड के हैं.
2005 से संचालित है संस्थान एमबीए, एमसीए, बीबीए, बीसीए के अलावा डिप्लोमा की पढ़ाई के नाम पर 2005 से उक्त संस्थान संचालित था. डायरेक्टर ने प्रचारित कर रखा था कि संस्थान एमबीए के लिए पंजाब टेक्निकल यूनिवर्सिटी व डिप्लोमा के लिए बिरसा इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलॉजी ट्रस्ट से छात्रों का निबंधन कराता है. संस्थान फिलहाल एक वर्ष से बंद है. वर्ष 2012 के मार्च माह में पासआउट घोषित छात्रों को कंसल्टेंसी के जरिये प्लेसमेंट दिखा पुणो की एक कंपनी में ट्रेनिंग के लिए भेजा गया था. प्रमाणपत्र के लिए फोन से संपर्क करने पर आइएसइएम के डायरेक्टर टालते रहे. छात्रों से कहा जाता कि बिरसा इंस्टीटय़ूट ऑफ टेक्नॉलॉजी ट्रस्ट रांची में प्रमाण पत्र बन रहा है.
मुंबई से बीटेक है डायरेक्टर
पुलिस हिरासत में आये डायरेक्टर ने कहा कि वह मुंबई से बीटेक है. पैतृक घर जमुई है, लेकिन फिलहाल धैया में रहते हैं. डिप्लोमा पास आधे छात्रों को प्रमाणपत्र दे दिया गया है. शेष के लिए कार्रवाई चल रही है. कोई ठगी नहीं हुई है. बीआइटी ट्रस्ट रांची से छात्रों को प्रमाण पत्र मिलना है.