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Maha shivratri 2021 : देवघर के रोहिणी में बने मोर मुकुट पहन कर मां पार्वती से विवाह करने पहुंचेंगे बाबा भोलेनाथ, जानें क्या है इसकी महता

Maha shivratri 2021, Jharkhand News, Deoghar News, जसीडीह न्यूज (देवघर) : महाशिवरात्रि के मौके पर परंपरा के अनुसार देवघर के रोहिणी में बने मोर मुकुट और वस्त्र पहनकर ही बाबा बैद्यनाथ का विवाह होता है. परंपरा के अनुसार, बाबा बैद्यनाथ और मां पार्वती के विवाह के लिए रोहिणी के मालाकार द्वारा मोर मुकुट और पटवासी बनाकर भेजा जाता है. मोर मुकुट बनाने वाले गुड्डू मालाकार ने बताया कि उनके पूर्वजों द्वारा बाबा मंदिर में होने वाले शिव विवाह में सामग्री नि:शुल्क दी जाती है. पूर्वजों से यह परंपरा चली आ रही है, जिसे वह आज भी निभा रहे हैं. बाबा की असीम कृपा से पूरा परिवार खुशहाली पूर्वक जीवन व्यतीत कर रहा है.

Maha shivratri 2021, Jharkhand News, Deoghar News, जसीडीह न्यूज (देवघर) : महाशिवरात्रि के मौके पर परंपरा के अनुसार देवघर के रोहिणी में बने मोर मुकुट और वस्त्र पहनकर ही बाबा बैद्यनाथ का विवाह होता है. रोहिणी के घाटवाल परिवार और मालाकार परिवार ने विवाह सामग्री के लिए तैयारी पूरी कर ली है. पुरानी परंपरा के अनुसार, महाशिवरात्रि के दिन घाटवाल परिवार की ओर से बाबा के विवाह के लिए दिये गये वस्त्र और विवाह सामग्री का उपयोग किया जाता है. विवाह को लेकर रोहिणी में मोर मुकुट बनकर तैयार हो गया है.

परंपरा के अनुसार, बाबा बैद्यनाथ और मां पार्वती के विवाह के लिए रोहिणी के मालाकार द्वारा मोर मुकुट और पटवासी बनाकर भेजा जाता है. मोर मुकुट बनाने वाले गुड्डू मालाकार ने बताया कि उनके पूर्वजों द्वारा बाबा मंदिर में होने वाले शिव विवाह में सामग्री नि:शुल्क दी जाती है. पूर्वजों से यह परंपरा चली आ रही है, जिसे वह आज भी निभा रहे हैं. बाबा की असीम कृपा से पूरा परिवार खुशहाली पूर्वक जीवन व्यतीत कर रहा है.

बताया गया कि शादी की अहले सुबह शृंगार पूजा के दौरान ही मोर मुकुट को बाबा मंदिर पहुंचाया जाता है. वहीं, कई वर्षों से घाटवाल परिवार के पूर्वजों द्वारा सामग्री भेजने की परंपरा शुरू की थी. जिसे वर्तमान में उनके वंशज संजीव कुमार देव और चिरंजीव देव की ओर से निर्वहन किया जा रहा है.

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विवाह सामग्री में पटवासी, सिंदूर, साड़ी, धोती, गंजी, गमछा और लहठी समेत अन्य सामग्री को रोहिणी ठाकुरबाड़ी स्थित शिव मंदिर में पूजा- अर्चना कर बाबा मंदिर के पदाधिकारी को सौंप दिया जाता है. परंपरा के अनुसार, रोहिणी में बने मोर मुकुट को पहनकर बाबा का विवाह होता है. मोर मुकुट को बनाने के लिए मालाकार के परिवार एक माह पूर्व से लग जाते हैं.

Posted By : Samir Ranjan.

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