देवघर: देवघर में जमीन का कारोबार हमेशा से सुर्खियों में रहा है. अब नाथबाड़ी की जमीन का मामला चर्चा में है. क्योंकि 24 नवंबर को बाबा मंदिर प्रबंधन बोर्ड ने निर्णय लिया कि मंदिर कार्य के लिए बोर्ड नाथबाड़ी और उमा मंडप के पास वाली जमीन का अधिग्रहण करेगा.
बोर्ड के इस निर्णय की भनक लगते ही यहां के जमीन कारोबारी फिर सक्रिय हो गये. भू-माफिया भी इस जमीन पर गिद्ध दृष्टि लगाये हैं. यही कारण है कि इस जमीन को ये कारोबारी किसी भी सूरत में हाथ से नहीं जाने देना चाहते हैं. इसलिए इस जमीन की डील शुरू हो गयी. डील में करोड़ों का खेल चल रहा है.
एक रसूखदार ने देवघर की एक प्रतिष्ठित संस्था को मुफ्त में नाथबाड़ी की जमीन देने तक की बात कह दी है. सवाल है कि ऐतिहासिक नाथ बाड़ी व बाबा मंदिर से गहरा अनुष्ठानिक संबंध रहा है. बावजूद पिछले कुछ माह से जमीन कारोबारियों का एक चर्चित सिंडिकेट इस पर कब्जा करने का सफेद – स्याह प्रयास शुरु कर चुका था. लेकिन इसकी सूचना प्रशासन तक पहुंचाये जाने के बाद खलबली मची. प्रशासन की पहल पर मंदिर प्रबंधन बोर्ड को लूट गर्दी के खिलाफ फैसला करना पड़ा. अब हालत यह है कि करोड़ों सेंकने के इस खेल में लगे ‘‘ सिंडिकेट ‘‘ मामले को पचा नहीं पा रहा है . रोज नये – नये आधार गढ़ने में लगा है . नयी – नयी कहानियों के प्लॉट तैयार किये जा रहे हैं.
ज्ञात हो कि बाबा मंदिर से सटे नाथबाड़ी का प्लॉट करीब पच्चीस कट्ठे का है. सूत्रों की मानें तो 25 से 28 हजार रुपये वर्ग फीट की दर से खरीदारों से बाजाप्ता एडवांस उठाये जा रहे हैं. जमीन लेने के लिये करोड़ रुपये तक एडवांस का लेन देन अब तक हो चुका है. इधर, बाबा मंदिर प्रबंधन बोर्ड की ओर से जिला प्रशासन भी अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू कर चुका है. बताया जाता है कि देवघर डीसी ने उक्त जमीन के अधिग्रहण प्रस्ताव का अनुमोदन कर दिया है.
प्रशासन की इस घोषणा के बाद सिंडिकेट की परेशानी यह है कि एडवांस में करोड़ों बटोर चुके पैसों का क्या होगा. जिन लोगों ने पैसे लगायें, उन्हें मुनाफा तो दूर मूल को लेकर भी चिंता सताने लगी है. करोड़ों के इस डील की खास बात यह है कि एक ओर जमीन बचाने के लिए प्रशासन व मंदिर प्रबंधन बोर्ड है तो दूसरी तरफ सिंडिकेट में शामिल दो – दो राजनीतिक हस्ती अपने पक्ष में दम आजमा रहे हैं.