संतोष से बड़ा कोई सुख नहीं : उज्ज्वल महाराज फोटो सुभाष के फोल्डर में संवाददाता, देवघरसंतोष रखने पर सब कुछ प्राप्त होता है. संतोष से बढ़कर कोई सुख नहीं है. ये बातें प्रसिद्ध कथावाचक पं उज्ज्वल शांडिल्य जी महाराज ने अार मित्रा में कही. वह नारायण सेवा संस्थान उदयपुर राजस्थान एवं श्री राधे कृष्ण सेवा मंडल देवघर के संयुक्त तत्वावधान में संगीतमय भागवत कथा में प्रवचन दे रहे थे. कथा के सातवें दिन महाराज जी ने भगवान श्रीकृष्ण और सुदामा की दोस्ती की जमकर प्रशंसा की. उन्होंने कहा कि सुदामा चार मुट्ठी चावल लेकर भगवान श्रीकृष्ण के पास गये थे. यह चार मुट्ठी धर्म, अर्थ, काम व मोक्ष था. इस अवसर पर श्रीकृष्ण-सुदामा मिलन की दिव्य झांकी प्रस्तुत की गयी. इस दौरान एक से बढ़कर एक भजन प्रस्तुत किये गये. इसे सुन भक्त मंत्रमुग्ध हो गया. मंच संचालन कुंज बिहारी मिश्रा ने की. गायक में श्रीधर चतुर्वेदी, हारमोनियम पर रामवीर सिंह परमार, तबला पर कुलदीप सिंह व वाइलेन पर संतोष कुमार डांगर साथ दे रहे थे. इसे सफल बनाने में मुख्य यजमान कार्तिक नाथ खवाड़े, विनय तिवारी, बिहारी लाल झा, कैलाश सालवी, विनीत अग्रवाल, बादल तिवारी, सेठ पुष्कर राज तायल, गौतम तिवारी, ऋषभ यादव, फतह सिंह, बमबम सिंह, अजीत तिवारी, बासुदेव, संदीप, पल्लव सिंह, धर्मेंद्र अग्रवाल आदि ने सराहनीय भूमिका निभायी.
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संतोष से बड़ा कोई सुख नहीं : उज्ज्वल महाराज फोटो सुभाष के फोल्डर में संवाददाता, देवघरसंतोष रखने पर सब कुछ प्राप्त होता है. संतोष से बढ़कर कोई सुख नहीं है. ये बातें प्रसिद्ध कथावाचक पं उज्ज्वल शांडिल्य जी महाराज ने अार मित्रा में कही. वह नारायण सेवा संस्थान उदयपुर राजस्थान एवं श्री राधे कृष्ण सेवा […]
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