गांव के बुनियादी शिक्षक: आज भी बच्चों को मुफ्त पढ़ा रहे 80 वर्षीय झब्बूलाल, रोकने पर भी पहुंच जाते हैं स्कूल
Teacher Day Special Story: बोकारो जिले के एक छोटे से गांव पिलपिलो के झब्बूलाल महतो का नाम बुनियादी शिक्षक के रूप में प्रसिद्ध है. उन्होंने 1982 से खपरैल के घर में बच्चों को पढ़ाना शुरू किया. 1989 में उस स्कूल का सरकारीकरण हो गया. लेकिन मैट्रिक पास नहीं होने के कारण झब्बूलाल की शिक्षक के रूप में बहाली नहीं की गयी. इसके बावजूद झब्बूलाल ने निःस्वार्थ भाव से बच्चों को पढ़ाना जारी रखा है.
Teacher Day Special Story | बेरमो, राकेश वर्मा: शिक्षा के क्षेत्र में अलख जगाने के लिए बोकारो जिले के नावाडीह प्रखंड के पिपराडीह अंतर्गत खेरागड्डा के झब्बूलाल महतो का नाम बुनियादी शिक्षक के रूप में प्रसिद्ध है. इस इलाके में झब्बूलाल महतो के कठिन प्रयासों के कारण ही शिक्षा के क्षेत्र में बुनयादी परिवर्तन हुए हैं. बिना किसी फीस के झब्बूलाल महतो निःस्वार्थ भाव से आज 80 साल की उम्र में भी बच्चों को शिक्षा दे रहे हैं.
खपरैल का घर बना स्कूल
झब्बूलाल महतो ने 1982 में पिलपिलो ग्राम में खपरैल का घर बनाया और उसी घर में बच्चों को पढ़ाने की शुरुआत की. निरंतर बच्चों को पढ़ाने का काम करते रहने के कारण 1989 में उस स्कूल का सरकारीकरण हो गया. वहां सरकारी शिक्षक बहाल किए गए और पढ़ाई आज भी जारी रहा. जब इस स्कूल का सरकार ने अधिग्रहण किया, तब वहां सरकारी शिक्षक की बहाली कर दी गयी. लेकिन, झब्बूलाल के मैट्रिक पास नहीं होने के कारण उनका उस स्कूल में सरकारी शिक्षक के रूप में बहाली नहीं हुआ. इसके बावजूद शिक्षा के प्रति उनका जुनून कम नहीं हुआ औए वे बच्चों को फ्री में ही पढ़ाते रहें.
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बच्चे देते थे दक्षिणा
उन दिनों शनिचरा के रूप में पूजा होती थी और उन्हें बच्चों द्वारा उन्हें 25 से 50 पैसे दक्षिणा के रूप में मिलता था. उसी से उनका भरण-पोषण होता था. जब बच्चे 5वीं कक्षा से पास हो कर दूसरे स्कूल जाने लगते थे, तब उन्हें उपहार स्वरूप धोती और जोती दिया जाता था. धोती वह अपने पहनावे के लिए उपयोग करते थे, वहीं जोती बैलों को बांधकर खेतीबारी के उपयोग में लाते है. यह सिलसिला लगातार चलता रहा और अब यह स्कूल हीरा उत्क्रमित मध्य विद्यालय के रूप में परिवर्तित है.
80 साल की उम्र में भी चलकर पहुंच जाते हैं स्कूल
यह विद्यालय कंजकिरो पंचायत के पिलपिलो में स्थापित है, लेकिन झब्बूलाल महतो अपने घर से 4 किलोमीटर पैदल चलकर स्कूल पहुंचते हैं. आज उनकी उम्र 80 वर्ष हो गयी है, इसके बाद भी बच्चों को शिक्षा देने का कार्य निरंतर जारी रखे हुए हैं. जब पारा टीचरों की बहाली हो रही थी, उस समय वहां शिक्षकों ने उन्हें आने से मना किया, लेकिन वे नहीं माने और स्कूल जाना जारी रखा. कहते हैं कि वह घर पर यूं ही बैठकर नहीं रह सकते हैं, उन्हें बच्चों को पढ़ाना अच्छा लगता है. इसलिए इस उम्र में भी वे स्कूल पहुंच जाते हैं और बच्चों को शिक्षा देते हैं.
बेटा विदेश में कार्यरत, परिवार के अधिकतर सदस्य शिक्षक
झब्बूलाल महतो का एक बेटा विदेश में किसी कंपनी में काम करता है, वहीं उनका दूसरा बेटा पिपराडीह उत्क्रमित मध्य विद्यालय में सहायक अध्यापक के रूप में कार्यरत है. उनके परिवार में 6-7 सदस्य शिक्षक हैं जो शिक्षा के क्षेत्र में काम कर रहे हैं. तत्कालीन बेरमो एसडीओ अंनत कुमार ने भी पिछलें दिनों स्कूल पहुंचकर बुनियादी शिक्षक झब्बूलाल महतो की प्रंशसा की थी. इनके पढ़ाई हुए छात्र आज सीसीएल, रेलवे, शिक्षा विभाग, डिफेंस, बैंक, चिकित्सक के अलावा सरकारी शिक्षक के रूप में काम कर रहें है.
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