24.7 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

बोकारो : प्रशिक्षण के बाद मड़वा की खेती कर रही कांड्रा पंचायत की महिलाएं

महिलाओं ने बताया कि आज हमारे द्वारा की गयी इस मड़वा की खेती से प्रेरित होकर हमारे गांव सहित आसपास के लोग भी मड़वा की खेती करने के लिए उत्सुक हैं. आसपास की महिला व पुरुष जानकारी लेने के लिए समूह के पास आते रहते हैं. इस वर्ष हम लोग भी बड़े पैमाने पर अपने खेतों में मड़वा की खेती करने के लिए तैयार हैं.

सदियों से अभाव में खाया जानेवाला मोटा अनाज अब लोगों के लिए औषधी बन गया है. सरकार ने भी विद्यालय में छात्र-छात्राओं को सप्ताह में एक दिन मोटा अनाज देने का आदेश जारी किया है. झारखंड सरकार के सभी सरकारी विद्यालय में सप्ताह में एक दिन मड़वा के लड्डू बना कर दिया जा रहा है. करीब एक वर्ष पूर्व कांड्रा पंचायत की महिला समूह ने प्रशिक्षण से प्रेरित होकर की मड़वा की खेती शुरू की. चास प्रखंड अन्तर्गत कांड्रा पंचायत के रामडीह गांव की एकता आजीविका महिला सखी मंडल की रोशनी कुमारी, मालावती देवी, लक्ष्मी कुमारी, शीला कुमारी, छवि देवी, यशोदा देवी, रीना देवी, लीलावती देवी, पार्वती देवी, फूलन देवी, रेखा देवी, रेवती देवी, प्रमिला देवी, बिंदेश्वरी देवी, सीता देवी ने अपने प्रशिक्षण के दौरान जब जाना की मड़वा प्रतिदिन सेवन करने से शुगर जैसी गंभीर बीमारी से लोग छुटकारा पा सकते हैं, साथ ही मड़वा सहित अन्य मोटे अनाज इस बीमारी को ठीक कर सकता है, तो प्रशिक्षण के बाद ग्रामीण महिलाओं ने इसकी चर्चा अपने परिवार के लोगों से की. फिर परिवार के सहयोग से मड़वा की खेती शुरू कर दी.

जेएसएलपीएल ने उपलब्ध कराया बीज

इसके लिए जेएसएलपीएल के माध्यम से इनको बीज भी उपलब्ध हो गया. महिला समूह द्वारा कड़ी मेहनत कर बीज को पौधा में परिवर्तन करने के बाद इसकी रोपाई बाड़ी में की गयी. मडवा की खेती में महिलाओं ने सफलता पायी. एक क्विंटल 35 किलो मड़वा की खेती कर यह साबित कर दिया कि धान गेहूं सहित अन्य फसलों की तरह मड़वा की खेती भी की जा सकती है.

अब आसपास के लोग आते हैं खेती के बारे में जानकारी लेने

महिलाओं ने बताया कि आज हमारे द्वारा की गयी इस मड़वा की खेती से प्रेरित होकर हमारे गांव सहित आसपास के लोग भी मड़वा की खेती करने के लिए उत्सुक हैं. आसपास की महिला व पुरुष जानकारी लेने के लिए समूह के पास आते रहते हैं. इस वर्ष हम लोग भी बड़े पैमाने पर अपने खेतों में मड़वा की खेती करने के लिए तैयार हैं.

मड़वा, मकई की लपसी, ज्वार के अनाज खाकर करते थे गुजर-बसर

वहीं क्षेत्र के बुजुर्गों का कहना है कि हम लोगों द्वारा गरीबी के समय अभाव में खाया गया अनाज आज के लोगों के लिए औषधि साबित हो रहा है. जितने बीमार लोग आज हो रहे हैं, उतने बीमार आज से 70-80 साल पूर्व नहीं हो रहे थे. इसका एकमात्र कारण यह है कि लोग उसे समय अभाव में मोटा अनाज का सेवन कर रहे थे, उस समय लोग मड़वा, मकई की लपसी, ज्वार के अनाज खाकर गुजर-बसर करते थे.

Also Read: बोकारो : 7 माह से चास तेलमच्चो पुराना पुल का मरम्मत बंद, आवागमन ठप, आए दिन हो रही दुर्घटना

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें