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बोकारो : सर्दियों में बढ़ जाता है हार्ट अटैक का खतरा, रहे सतर्क, सर्दी में सावधानी ही सबसे बड़ा बचाव

सर्दियों का मौसम हृदय व ब्लड प्रेशर के मरीजों के लिए खतरनाक है. सर्दियों में रक्त वाहिकाएं सिकुड़ जाने का असर हृदय को खून पहुंचाने वाली धमनियों पर पड़ता है.

बोकारो रंजीत कुमार : सर्दियों का मौसम हृदय व ब्लड प्रेशर के मरीजों के लिए खतरनाक है. सर्दियों में रक्त वाहिकाएं सिकुड़ जाने का असर हृदय को खून पहुंचाने वाली धमनियों पर पड़ता है. इसलिए हृदय रोगियों में हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है. ठंड के प्रति संवेदनशील होने के कारण बच्चे, बुजुर्ग और हृदय रोगियों में ठंड के मौसम में हाइपोथर्मिया का खतरा भी रहता है. जो समय पर ध्यान नहीं देने के कारण जानलेवा साबित होते है. सर्दियों में हृदय रोग से पीड़ित मरीज में अक्सर सीने में दर्द या बेचैनी की समस्या होती है. सर्दियों के मौसम में बोकारो में बीपी व हृदय रोगियों की संख्या में इजाफा हो रहा है. सदर अस्पताल के ओपीडी में रोजाना लगभग 700 मरीजों की जांच होती है. लगभग 250-280 लोगों का ब्लड प्रेशर बढ़ा मिलता है. बीजीएच व निजी हृदय रोग क्लिनिकों में हृदय रोगियों की संख्या सर्दी के दिनों में आमदिनों के अपेक्षा बढ जाती है.

हार्ट अटैक का मुख्य कारण

  • ठंड में धुआं व प्रदूषण वातावरण में जमीनी स्तर पर घिरे रहने से छाती में संक्रमण व सांस लेने की समस्याएं पैदा करते हैं.

  • सर्दियों में बीपी बढ़ा रहता है व रक्त की आपूर्ति की कमी के कारण रक्त वाहिनियां सिकुड़ जाती हैं. सर्दी के मौसम में पसीना नहीं होता. इस कारण अतिरिक्त पानी फेफड़ों में जमा होने से हार्ट फेल्योर के मामले आते हैं.

  • सर्दियों में ज्यादा कैलोरीयुक्त आहार का उपयोग होता है. इस कारण कोलेस्ट्रॉल लेवल बढ़ने की संभावना अधिक होती है. इससे ब्लड सर्कुलेशन अवरुद्ध होने लगता है.

ऐसे पहचानें खतरे के संकेत

फ्लूड इनटेक व मूत्र त्याग को मापें. जिस अनुपात में पानी पी रहे हैं. उस मुकाबले यदि पेशाब कम हो रहा, तो मतलब है कि तरल पदार्थ फेफड़ों में जमा हो रहा है. बाद में हार्ट की परेशानियों के नजर में सामने आयेगा. अगर आपकी छाती में जलन या बेचैनी महसूस होती है. जबड़े या हाथ में दर्द होकर छाती तक फैलता हो, अचानक थकावट या पसीना महसूस होता हो, तो सावधान हो जायें.

ठंड में अपनाएं बचाव के तरीके

किसी भी हाल में एक्सरसाइज न छोड़ें. ठंड में घर के अंदर योग, मेडिटेशन आदि करें. नमक व पानी का सेवन कम करें. पसीना नहीं होने से शरीर में इसकी कमी नहीं होती. बीपी का नियमित मॉनिटरिंग करें. यदि बीपी लगातार उच्च स्तर पर है, तो हृदय रोग विशेषज्ञ से परामर्श लें. सोने से पहले दो मिनट के लिए गर्म पानी से भाप लें. इससे हाइ ब्लड प्रेशर, डायबिटीज व दिल के रोगियों को राहत मिलेगी.

  • यदि संक्रमण के लक्षण दिखे, तो तुरंत चिकित्सक की सलाह से एंटीबायोटिक्स का उपयोग करे. किसी भी हाल में चिकित्सकीय सलाह वाली दवा बिल्कुल नहीं छोड़ें.

  • उच्च रक्तचाप वाले लोगों को सुबह टहलने से बचना चाहिए, क्योंकि रक्तचाप में ठंड की सुबह दिल के दौरे का जोखिम 50 प्रतिशत अधिक होता है. दिल की बीमारियों के अलावा, गंभीर ठंड से श्वसन नली का संक्रमण, जैसे अस्थमा, ब्रोंकाइटिस के साथ छाती में दर्द के मामले भी बढ़ते हैं.

  • सांस फूलने की शिकायत को ठंड के मौसम में बिल्कुल नजरअंदाज नहीं करना चाहिए. सांस फूलने की परेशानी फेफड़ों में इन्फेक्शन के कारण भी हो सकती है. यदि किसी की सांस अचानक बैठे-बैठे भी फूलने लगे, तो तुरंत डॉक्टर के पास ले जाना चाहिए. जरा भी लापरवाही घातक हो सकती है.

क्यों बढ़ता है ठंड में ब्लड प्रेशर

  • सर्दियों में तापमान कम होने से रक्त वाहिनियां संकरी हो जाती हैं. संकरी शिराओं व धमनियों में रक्त के संचारण के लिए अधिक बल की जरूरत होती है. जो रक्तदाब को बढ़ता है.

  • सर्दियों में शारीरिक सक्रियता कम हो जाती है. इससे रक्त का दाब बढ़ जाता है. रक्तदाब बढ़ने से स्ट्रोक, हार्ट अटैक व कार्डियक अरेस्ट का खतरा बढ़ जाता है.

  • सर्दियों में शरीर के तापमान व उष्मा के स्तर को बनाये रखने के लिए रक्त के प्रवाह को रोकता है. इस कारण रक्त के संचरण के लिए अधिक बल लगाना पड़ता है. इससे ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है. साथ ही सर्दियों में सिम्पैथेटिक नर्वस सिस्टम सक्रिय हो जाता है. शरीर में कैटेकोलामिन हार्मोन का स्तर बढ़ जाता है, जो धड़कनों को बढ़ाकर ब्लड प्रेशर बढ़ा देता है.

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क्या कहते हैं फिजिशियन व हृदय रोग चिकित्सक

सर्दियों में शरीर के तापमान में कमी व विटामिन डी के स्तर में कमी और रक्त के गाढ़ेपन में वृद्धि होती है. जो हृदय रोगों का जोखिम बढ़ा देती है. जबकि तेज हवा व बारिश शरीर के तापमान को और कम कर देते हैं. इससे रक्तचाप अचानक बढ़ जाता है. इससे दिल के दौरे का जोखिम उत्पन्न होता है. रिसर्च के अनुसार गर्मियों के मुकाबले सर्दी के मौसम में हार्ट अटैक व स्ट्रोक से होने वाली मौत के मामले 26 से 36 प्रतिशत तक बढ़ते हैं. जो परेशानियों का कारण है.

डॉ सतीश कुमार, वरीय कार्डियोलॉजिस्ट, वेलमार्क हास्पिटल, बोकारो

सर्दी के मौसम में 40 वर्ष की आयु से ऊपर के व्यक्तियों को दिल के दौरे का खतरा अधिक होता है. दिल की मांसपेशियों को नुकसान पहुंचता है. हाइ बीपी से मोटापा, कोलेस्ट्रॉल के स्तर, मधुमेह या अत्यधिक धूम्रपान सर्दियों में दिल का दौरा पड़ने के मामलों को ट्रिगर करनेवाले कारकों में हैं. सर्दियों के दौरान व्यस्कों व बुजुर्गों को नियमित स्वास्थ्य जांच कराना चाहिए. रक्त में ग्लूकोज व कोलेस्ट्रॉल स्तर का ध्यान रखाना चाहिए. शराब व जंक फूड से बचना चाहिए.

डॉ निरंजन कुमार, हृदय रोग विशेषज्ञ, को-ऑपरेटिव कॉलोनी, बोकारो

ठंड के मौसम में कैसा हो खानपान में सावधानी बरतने की जरूरत है. सादा, संतुलित और पौष्टिक खानपान लें. ज्यादा घी-तेल और मसाले युक्त आहार से बचें. अल्कोहल व सिगरेट का उपयोग किसी भी हाल में न करें. अल्कोहल लेने के बाद हार्ट के पंपिंग की गति अनियंत्रित हो जाती है. अल्कोहल के प्रयोग से शरीर में सही ढंग से रक्त प्रवाह नहीं हो पाता. सिगरेट में मौजूद निकोटीन हृदय की रक्तवाहिका नलियों के भीतरी हिस्से को नुकसान पहुंचाता है.

डॉ सुजीत कुमार, हृदय रोग विशेषज्ञ, केएम मेमोरियल, चास

सिगरेट पीने से दिल की धड़कन तेज हो जाती है. ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है. हार्ट अटैक का बड़ा कारण है. क्रीमयुक्त दूध के बजाय स्किम्ड मिल्क लें. रोज हरी सब्जियां व फल का सेवन अधिक मात्रा में जरूर करें. नॉन-वेजटेरियन हैं, तो रेड मीट से दूर रहें. एग व्हाइट का ही सेवन करें. मछली का उपयोग करें. इसमें मौजूद ओमेगा-3 फैटी एसिड दिल के लिए फायदेमंद है. खुद को बचाना है, तो सावधान हर हाल में रहना होगा. चिकित्सक से सलाह लें.

डॉ रणधीर कुमार सिंह, प्रभारी सह वरीय फिजिशियन, इएसआइसी, बोकारो

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