सप्ताह में एक दिन कुछ समय के लिए डाॅक्टर भी आते है, लेकिन दवा की कमी के कारण कई मरीजों का इलाज नहीं हो पाता है. कर्मचारी बताते हैं कि केंद्र का भवन जर्जर है. पांच वर्ष पहले पानी का मोटर जल गया था जो आज तक नहीं बना. पडोस से पानी मांगना पड़ता है. स्ट्रेचर, फर्नीचर, फ्रिज व शौचालय नहीं रहने से सबको परेशानी होती है.
1982 में स्थापित इस उप केंद्र में प्रसव की कोई व्यवस्था नही है. इधर, रेफरल के प्रभारी डॉ आरके दास ने बताया कि केंद्र में दवा की व्यवस्था की गयी है. पानी, बिजली, भवन आदि की जानकारी जिला के विभाग को दी गयी है.