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पाठक न छोड़ें अच्छे मित्र का साथ
पुस्तकें ज्ञान प्राप्त करने का साधन के अलावा ज्ञान संवर्द्धन व अनुभव साझा करने के साधन हैं. पुस्तक को मानव मस्तिष्क का सबसे अच्छा मित्र माना जाता है. बोकारो को प्रदेश की बौद्धिक राजधानी माना जाता है. बावजूद इसके बोकारोवासियों की रीडिंग हैबिट कम होती जा रही है. इस वजह से यहां के सात पुस्तकालय […]
पुस्तकें ज्ञान प्राप्त करने का साधन के अलावा ज्ञान संवर्द्धन व अनुभव साझा करने के साधन हैं. पुस्तक को मानव मस्तिष्क का सबसे अच्छा मित्र माना जाता है. बोकारो को प्रदेश की बौद्धिक राजधानी माना जाता है. बावजूद इसके बोकारोवासियों की रीडिंग हैबिट कम होती जा रही है. इस वजह से यहां के सात पुस्तकालय बंद हो गये.
सुनील तिवारी
बोकारो : बोकारो को राज्य की बौद्धिक राजधानी बनाने में यहां के पुस्तकालयों का भी योगदान रहा. 90 के दशक तक बोकारो में 11 पुस्तकालय थे. लेकिन, समय की मार व पाठकों की गैरमौजूदगी पुस्तकालय पर कहर बन कर गिरी. सात पुस्तकालयों में ताला लटका है.बोकारो इस्पात प्रबंधन की ओर से पुस्तकालय विभिन्न सेक्टरों में स्थापित किया गया था.
हर पुस्तकालय में औसतन 1000 किताब व सभी प्रमुख अखबार व पत्रिका होती था. सुविधा के अनुसार किताब निर्गत करायी जाती थी. पत्रिका निर्गत कराने की अनुमति नहीं थी. वर्तमान में ओपेन सेक्टर में सिर्फ सेक्टर पांच स्थित बोकारो पुस्तकालय ही संचालित हो रहा है. साथ ही टीएनडी, बीजीएच व संयंत्र जैसे विभागीय पुस्तकालय ही चल रहे हैं. सेक्टर 02/डी, सेक्टर 03, सेक्टर 12, सेक्टर 06, सेक्टर 09, सेक्टर 08 व सेक्टर 11 के पुस्तकालय बंद हो गये हैं.
इ-बुक व इंटरनेट ने ताला का काम किया : पुस्तकालय संचालित करने के लिए किताब व पाठक जरूरी हैं. किताब संग्रह करने में बीएसएल कामयाब रहा. संसाधन का उपयोग कर हर सेगमेंट की पुस्तक मुहैया करायी गयी. लेकिन, पांव पसारते ई-बुक व इंटरनेट के जाल में पुस्तकालय फंस कर रह गया. किताब प्रेमियों की चहलकदमी पुस्तकों में धीरे-धीरे कम होने लगी.
कर्मियों की घटती संख्या पुस्तकालय के लिए हुई घातक : विभिन्न सेक्टर में पुस्तकालय की स्थापना बीएसएल के साथ एचएससीएल के स्वर्णिम काल में हुआ था. तकनीकी कारणों (आधुनिकीकरण) से बीएसएल में अधिकारी व कर्मी की घटती संख्या पुस्तकालय के लिए नुकसानदेह बना. उधर, एचएससीएल की स्थिति बिगड़गयी. अधिकारी व कर्मी की संख्या में कमी आयी, वैसे-वैसे पुस्तकालय से पाठक भी दूर होते गये.
पाठकों की घटती संख्या के कारण पुस्तकालय को अंतत: बंद करना पड़ा. पुस्तकालय का रख-रखाव का खर्च भी इस पर ताला लटकाने का जिम्मेदार बना. आज पुस्तकालयों में ताला लटका है.
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