डीएसपी श्री बाखला ने पुलिस अधिकारियों को नये बाल कानून की जानकारी दी. बताया : बाल मित्र पदाधिकारियों को अमूमन दो तरह के बच्चों का सामना करना पड़ता है. एक बच्चा वह होता हो जो भटक कर किसी तरह थाना आ जाता है. दूसरा बच्चा आपराधिक घटना में थाना आता है. दोनों तरह के बच्चों से पुलिस को बहुत विनम्रता पूर्वक एक शिक्षक की तरह व्यवहार करना है. भूल भटक कर थाना आये बच्चों से पुलिस अधिकारी सामान्य वेश भूषा में पूछताछ कर उसे बाल कल्याण समिति के हवाले कर देंगे.
बाल कल्याण समिति बच्चों को उनके परिजनों तक पहुंचायेगी. अापराधिक मामले में पकड़े बालक से भी शिक्षक या अभिभावक की तरह विनम्रता पूर्वक बात करना है. बच्चे को किसी प्रकार की चोट है या उसे कोई बीमारी है, तो उसका इलाज कराना है. किसी भी सूरत में बालक को थाना हाजत में बंद नहीं करना है. उसे हथकड़ी भी नहीं लगायी जा सकती है. पुलिस वरदी में बालक को कोर्ट या अन्य स्थान ले जाना सर्वथा वर्जित है. सीसीआर डीएसपी ने बाल कानून के संबंध में अन्य कई जानकारियां भी दी.