बोकारो: साल भर पहले मुख्य सचिव और डीजीपी ने जिला पुलिस को सभी वाहनों से काली फिल्म हटाने का निर्देश दिया था. डिक्की-हैलमेट चेक करने में लगी ट्रैफिक पुलिस को इतनी फुरसत नहीं कि वह गाड़ियों पर चढ़ी काली फिल्म देखे और उतारे. गाहे-बगाहे पुलिस इसके लिए शहर में सक्रिय दिखती है.
मुश्किल से होती है एक्शन : बोकारो में हजारों ऐसी गाड़ियां हैं जिनके शीशे पर काली फिल्म चढ़ी है. अंदर कुछ भी दिखाई नहीं देता है. कौन कैसे और क्या लेकर आ-जा रहा है. कार्रवाई इक्का-दुक्का पर ही होती है. बाकी रोज ही सिटी सेंटर की कई दुकानों में नये-पुराने वाहनों पर काली फिल्म धड़ल्ले से चढ़ायी जा रही है. वे मोटी कीमत लेते हैं. ऐसी दुकानों को चिह्न्ति करने की कोई कार्रवाई अब तक नहीं हुई है.
कार्रवाई हो रही, लेकिन धीरे-धीरे: बोकारो शहर समेत जिले भर में ट्रैफिक पुलिस में मैन पावर की कमी से पूरी सिस्टम ही फेल है. चंद सिपाही और एक-दो अफसरों पर पूरा भार. इसका फायदा काली फिल्म युक्त वाहनों को मिल रहा है. ज्ञात हो कि सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि किसी भी वाहन पर किसी तरह की काली फिल्म का उपयोग नहीं हो सकता. ऐसा होने पर जुर्माना कर उनकी काली फिल्म तुरंत उतारे जायें.
और एसपी की सुनिए : बोकारो के एसपी कुलदीप द्विवेदी फरमाते हैं कि किसी भी कीमत पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन होना चाहिए. पुलिस लगातार परिवहन विभाग के साथ मिलकर काला शीशा के खिलाफ अभियान चला रही है.