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बच्चों को शिक्षा के साथ संस्कार भी दें
जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड की सदस्य ने पढ़ाया संस्कार का पाठ जैनामोड़ : बच्चों को शिक्षा के साथ संस्कार देना और अच्छा नागरिक बनाना हमारा कर्तव्य है. शिक्षा के साथ संस्कार देना हर स्कूल की प्राथमिकता होती है. अंबिका पब्लिक स्कूल-जैनामोड़ ने ‘संस्कार ओरियेंटेड वीक’ का आयोजन कर एक अच्छे कार्यक्रम की शुरुआत की है. यह […]
जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड की सदस्य ने पढ़ाया संस्कार का पाठ
जैनामोड़ : बच्चों को शिक्षा के साथ संस्कार देना और अच्छा नागरिक बनाना हमारा कर्तव्य है. शिक्षा के साथ संस्कार देना हर स्कूल की प्राथमिकता होती है. अंबिका पब्लिक स्कूल-जैनामोड़ ने ‘संस्कार ओरियेंटेड वीक’ का आयोजन कर एक अच्छे कार्यक्रम की शुरुआत की है. यह सभी स्कूलों में होना चाहिए.
ये बातें जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड की सदस्य ममता मिश्र ने मंगलवार को कही. श्रीमती मिश्र अंबिका पब्लिक स्कूल-जैनामोड़ में आयोजित ‘संस्कार ओरियेंटेड वीक’ के समापन समारोह में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहीं थी.
श्रीमती मिश्र ने इस दौरान आयोजित विभिन्न प्रतियोगिता के विजेता प्रतिभागियों को मेडल व प्रमाण-पत्र देकर सम्मानित किया. कहा : संस्कारी बनिए, सदाचारी बनिए, यही मेरा आग्रह है. तभी एक सुयोग्य नागरिक बना जा सकता है. इससे पहले स्कूल के निदेशक दिनेश सिंह ने श्रीमती मिश्र को सम्मानित किया.
सफलता के लिए संस्कार जरूरी : दिनेश सिंह
स्कूल के निदेशक दिनेश सिंह ने कहा : पूरे सप्ताह बच्चों ने अपनी दिनचर्या में काफी बदलाव लाया है. जीवन में सफल होने के लिए संस्कार का होना बहुत जरूरी है. स्कूल में भविष्य में भी इस तरह का कार्यक्रम होगा, जिससे बच्चों को शिक्षा के साथ-साथ संस्कार भी दिया जा सके.
कार्यक्रम की शुरुआत स्वागत गीत बरसे बदरिया सावन की.. से हुई. संचालन कविता सिन्हा व अनुभा झा ने किया. उप प्राचार्य अशोक कुमार सिंह ने धन्यवाद ज्ञापन दिया. आशा कुमारी, जयंती कुमारी, पूजा कुमारी, अनुराग सिंह, हर्षा चौबे, कंचन शर्मा समेत अन्य उपस्थित थे.
‘संस्कार ओरियेंटेड वीक’ के बेस्ट स्टूडेंट्स
क्लास प्रेप की सुहाना परवीन, 2 के रोहित मुंडा व क्लास 3 के साहिल मुमरू ‘संस्कार ओरियेंटेड वीक’ के बेस्ट स्टूडेंट्स रहे.
डांस कंपीटीशन ग्रुप ए में सुधा सिंह, रानी मिश्र व खुशी सिंह, ग्रुप बी में नीरज कुमार, मानसी कुमारी व देव्यानी सिंह, कराटे कंपीटीशन में रानी कुमारी, सुधा सिंह व साहिल मिश्र, म्यूजिक कंपीटीशन ग्रुप ए में किरण सोरेन, सोनाली टुडू व खुशी कुमारी और ग्रुप बी में श्वेता कुमारी, स्नेहा कुमारी व अभिषेक कुमार साव क्रमश: प्रथम, द्वितीय व तृतीय स्थान पर रहे. तबला वादन के लिए विशेष पुरस्कार गोपी नाथ व विनोद टुडू को दिया गया. सफल विद्यार्थियों को प्राचार्य ने शुभकामना दी.
‘संस्कार’ मानव व्यवहार की वह पावन आधारशिला है, जिससे समाज को सुख, सुयश और आत्मगौरव की प्राप्ति होती है. क्योंकि संस्कार समाज द्वारा निर्मित व लोगों द्वारा समर्थित वैसे आचरण हैं, जिसको समाज की स्वीकृति प्राप्त है.
इनको अपनाने से हमारे व्यवहार में सुचिता व सोच में सात्विकता सहज ही आ जाती है. संस्कार संवैधानिक नहीं, अपितु सामाजिक सोच की पुण्य सलिला है, जिससे हमारी संवेदना को अपार सुख मिलता है. आदमी छोटा हो या बड़ा, साधारण हो या असाधारण, संस्कार को मानने के लिए कहीं कोई रोक-टोक नहीं है.
भारतीय संस्कृति के आराध्य आदर्श श्रीराम की प्रशंसा इसलिए आज भी की जाती है, क्योंकि उन्होंने संस्कार को सदा स्वीकार किया. अपने माता-पिता और गुरु को सम्मान देने से जो ईश्वरीय आशिष मिलता है, उसके लिए किसी मंदिर में जाने की आवश्यकता नहीं है. यही संस्कार का सुखद प्रभाव है. संस्कार ही हमें सदाचारी बनने का संदेश देता है.
पंडित विद्यानंद झा, साहित्यकार
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