चास: केंद्र व राज्य सरकार द्वारा जनहित में स्वास्थ्य केंद्र व बाल विकास परियोजना कार्यालय को दवा आपूर्ति की जाती है, लेकिन स्वास्थ्य केंद्रों में कार्यरत अधिकारी व कर्मचारियों के उदासीन रवैये के कारण यहां दवाइयां जरूरतमंदों में बंटने की बजाय कचरे के ढेर में मिलती है. स्वास्थ्य केंद्र व परियोजना कार्यालय में ही रखे-रखे जब दवाइयां एक्सपायर्ड हो जाती हैं तो उसे किसी सुरक्षित जगह पर फेंक दिया जाता है, ताकि किसी की नजर उस पर न पड़ सके.
महिला छात्रावास के समीप भारी मात्र में फेंकी गयी है आयरन की गोलियां : गुरुवार को एक मामला महिला छात्रावास कैंपस दो बोकारो के समीप देखने को मिला. महिला छात्रावास के पीछे खाली स्थान में भारी मात्र में आयरन की गोलियां पड़ी मिलीं. मालूम पड़ रहा है कि इन गोलियों को जलाने का प्रयास भी किया गया, लेकिन जब रैपर के कारण दवाइयां नहीं जली तो इन्हें मिट्टी में दबा देने की कोशिश की गयी.
बताते चलें कि महिला छात्रावास में बाल विकास परियोजना सहित कई सरकारी विभाग कार्यरत हैं. इधर, फेंकी गयी दवाइयां चर्चा का विषय बनी हैं, लेकिन कोई यह इलजाम अपने सिर लेने को तैयार नहीं है. दवा के रैपर पर उत्पादन वर्ष 2006 अंकित है, जबकि स्टीप में दवा बनाने की तिथि दिसंबर 2008 अंकित है. एक्सपायरी तिथि नवंबर 2010 दर्ज है.