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पुुलिस की तरह वर्दी तो मिली, लेकिन सुविधा शून्य

धर्मनाथ, बोकारो : होमगार्ड को पुलिस की तरह वर्दी तो मिली, लेकिन उन्हें पुलिस की तरह अधिकार नहीं मिला और न ही सुविधा मिली. कानून व्यवस्था बनाये रखने के लिए होमगार्ड आज भी लगन से काम कर रहे हैं. थानों के अलावा अधिकारियों की सुरक्षा, सरकारी कार्यालयों, बीजीएच आदि की सुरक्षा में होमगार्ड जवानों को […]

धर्मनाथ, बोकारो : होमगार्ड को पुलिस की तरह वर्दी तो मिली, लेकिन उन्हें पुलिस की तरह अधिकार नहीं मिला और न ही सुविधा मिली. कानून व्यवस्था बनाये रखने के लिए होमगार्ड आज भी लगन से काम कर रहे हैं. थानों के अलावा अधिकारियों की सुरक्षा, सरकारी कार्यालयों, बीजीएच आदि की सुरक्षा में होमगार्ड जवानों को लगाया जा रहा है.

खाकी वर्दी में पुलिस के साथ कंधे से कंधा मिलाकर ड्यूटी करने वाले होमगार्ड जवानों को नियमित ड्यूटी भी नहीं मिलती हैं. कुछ होमगार्ड जवान ड‍्यूटी करते हैं, तो कुछ को बेरोजगार रहना पड़ता है. इन्हें सिर्फ ड्यूटी के दौरान ही वेतन मिलता है, वह भी महज 500 रुपये प्रतिदिन. इन हालात में होमगार्ड जवानों को अपना घर चलाना भी मुश्किल होता हैं.
बोकारो जिला में कुल 1677 गृहरक्षक : बोकारो जिला में कुल 1677 गृहरक्षक है, परंतु उपलब्ध कर्तव्य की संख्या कम होने के कारण उन्हें बेरोजगार रहना पड़ता है. इसमें महिला गृह रक्षकों की बड़ी संख्या है. इन गृह रक्षकों द्वारा कर्तव्य के लिए कार्यालय पर लगातार दबाव बनाया जाता है. हाल में ही कर्तव्य की प्रतीक्षा में बैठी महिला गृह रक्षकों द्वारा कर्तव्य पर प्रतिनियुक्ति की मांग को लेकर होमगार्ड कार्यालय में उपद्रव भी किया गया था.
लगन से काम करने वाले होमगार्ड जवानों का हाल
होमगार्ड को समान काम का समान वेतन नहीं दिया जा रहा है और न ही ड्यूटी सुनिश्चित की जा रही है. अधिकार पाने के लिए कई बार गृहरक्षक जवानों ने धरना-प्रदर्शन भी किया. इसके बावजूद होमगार्ड की स्थिति नहीं सुधारी है.
मंटू सिंह, अध्यक्ष, झारखंड होमगार्ड वेलफेयर एसोसिएशन बोकारो
गृहरक्षकों को नियमित ड्यूटी नहीं मिल पाती है. खासकर महिला गृह रक्षकों की बड़ी संख्या है. स्थिति अत्यंत दयनीय है. सभी होमगार्ड जवानों की ड्यूटी सुनिश्चित की जाये, सरकार को ध्यान देने की जरूरत है.
शांति कुमारी, महिला अध्यक्ष, झारखंड होमगार्ड वेलफेयर एसोसिएशन बोकारो
होमगार्ड में भर्ती हुए कई साल हो गये हैं. पुलिस बनने का सपना था, इसी लालच में होमगार्ड बने थे. अब पछता रहे हैं. होमगार्ड जवान को चार माह ड्यूटी मिलती है तो कुछ समय के लिए खाली बैठना पड़ता है. आर्थिक तंगी से घर चलाना मुश्किल हो गया है.
कन्हैया कुमार, गृहरक्षक, सेक्टर-3
गृहरक्षकों को नियमित ड्यूटी नहीं मिलने से आर्थिक परेशानी बढ़ जाती है. सरकार चाहे तो उन्हें सरकारी व गैर सरकारी प्रतिष्ठानों में प्रतिनियुक्त कर इनकी समस्याओं से निजात दिला सकती है. सदर अस्पताल में होमगार्ड जवान की नियुक्त करनी चाहिए.
अनिल कुमार, गृहरक्षक, सेक्टर
ड्यूटी मिले इसका भरपूर प्रयास किया जा रहा
गृहरक्षकों को ऑनलाइन ड्यूटी मिलती है. अधिक से अधिक गृहरक्षकों को ड्यूटी मिले इसका भरपूर प्रयास किया जा रहा है. खासकर महिला गृह रक्षक. वहीं गृहरक्षक को कोई परेशानी हो रही है तो वह सीधे जिला समादेष्टा कार्यालय में पहुंच कर अपना समस्या का हाल पा रहे है. साथ ही जिला के सभी प्रखंड अंचल में छह-छह गृहरक्षकों की नियुक्ति के लिए डीसी महोदय का आदेश प्राप्त किया जायेगा.
आरके कुजूर, जिला समादेष्टा, बोकारो

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