रांची : सात दिन पहले तक झारखंड में अपना वजूद तलाश रही तृणमूल कांग्रेस के खेमे में एक सप्ताह के अंदर ही तीन विधायक शामिल हो गये हैं. एक -एक कर निर्दलीय, छोटे दल और अन्य दलों के विक्षुब्ध तृणमूल में शामिल हो रहे हैं. लोकसभा चुनाव के पूर्व विभिन्न दलों के अंदर मची भगदड़ का तृणमूल कांग्रेस लाभ उठा रही है. दो निर्दलीय विधायक बंधु तिर्की और चमरा लिंडा ने एक सप्ताह पहले ही तृणमूल की सदस्यता ग्रहण की थी. अब इनके सहारे दूसरे विधायकों और पूर्व विधायकों पर भी डोरे डाले जा रहे हैं.
* अभी और कई विधायक हैं कतार में
रविवार को कांग्रेस विधायक ददई दुबे भी तृणमूल में चले गये. सूत्रों की मानें तो एक और निर्दलीय विधायक गीता कोड़ा के तृणमूल में शामिल होने की संभावना है. कई पूर्व विधायक भी कतार में हैं. झारखंड के पूर्व उप मुख्यमंत्री स्टीफन मरांडी और पूर्व मंत्री भानु प्रताप शाही के तृणमूल में जाने की चर्चा भी जोरों पर है. हालांकि अब तक इन नेताओं की ओर से इसकी पुष्टि नहीं की गयी है. सूत्रों के अनुसार तृणमूल के राष्ट्रीय महासचिव मुकुल राय पूर्व विधायकों के साथ संपर्क में हैं. बंधु सबको तृणमूल में शामिल कराने की मुहिम में जुटे हैं.
* विधानसभा में हो सकती है दमदार उपस्थिति
तृणमूल कांग्रेस की झारखंड विधानसभा में भी दमदार उपस्थिति होगी. सूत्रों की मानें तो झारखंड विधानसभा के आगामी सत्र में तृणमूल विधायकों की संख्या चार हो सकती है. इसका मतलब यह हुआ कि तृणमूल विधानसभा में सरकार बनाने-गिराने की स्थिति में होगी. हालांकि तृणमूल का एजेंडा लोकसभा-विधानसभा चुनाव है. हेमंत सरकार को लेकर पार्टी ने अब तक रणनीति का खुलासा नहीं किया है. बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की रुचि यहां सरकार बनाने-बिगाड़ने में नहीं है. वह संगठन पर ही फोकस करना चाहती हैं.
* दो और नाम तय
बंधु तिर्की और चमरा लिंडा के बाद तृणमूल कांग्रेस ने दो और उम्मीदवारों के नाम तय कर दिये हैं. पार्टी ने खूंटी से आश्रिता टूटी तथा गोड्डा से दामोदर सिंह मेलार को उम्मीदवार बनाया है.
* टीएमसी में जानेवाले विधायकों ने अपने दम पर बनायी जगह
आगामी लोकसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस के प्रत्याशी असरदार होंगे. तृणमूल कांग्रेस में अब तक शामिल होने वाले विधायकों ने अपने दम पर झारखंड की राजनीति में जगह बनायी है. विश्रामपुर से विधायक ददई दुबे पहले भी धनबाद के सांसद रह चुके हैं. वह मजदूर यूनियन के बड़े नेता हैं. राज्य के कईसार्वजनिक उपक्रमों के मजदूरों के बीच उनकी अच्छी पकड़ है.
वहीं, झारखंड जनाधिकार मंच का गठन करने वाले बंधु तिर्की झारखंड की राजनीति में जाने-माने नाम हैं. मांडर से दो बार निर्दलीय विधायक श्री तिर्की की अपनी पहचान है. उधर, बिशुनपुर विधायक चमरा लिंडा की भी आदिवासी बहुल क्षेत्रों में बढि़या पकड़ है. आदिवासी छात्र संघ से राजनीति की शुरुआत करने वाले श्री लिंडा पिछले लोकसभा चुनाव में लोहरदगा से उपविजेता रह चुके हैं.