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पलामू में 5.2 प्रतिशत हुई है धान की रोपनी

बारिश न होने से मक्के की खेती भी हुई बरबाद पांच अगस्त तक 46.1 मिमी बारिश हुई किसानों ने कहा, अब बारिश का फायदा नहीं मेदिनीनगर : पलामू में पर्याप्त वर्षा नहीं होने के कारण इस बार सुखाड़ की स्थिति बनी है. सरकारी आंकडों की मानें तो लक्ष्य के विरुद्ध मात्र 5.2 प्रतिशत धान की […]

बारिश न होने से मक्के की खेती भी हुई बरबाद

पांच अगस्त तक 46.1 मिमी बारिश हुई

किसानों ने कहा, अब बारिश का फायदा नहीं

मेदिनीनगर : पलामू में पर्याप्त वर्षा नहीं होने के कारण इस बार सुखाड़ की स्थिति बनी है. सरकारी आंकडों की मानें तो लक्ष्य के विरुद्ध मात्र 5.2 प्रतिशत धान की रोपनी हुई है. जिले में 47 हजार हेक्टेयर में धान की रोपनी का लक्ष्य रखा गया था, जिसके विरुद्ध पांच अगस्त तक 2470 हेक्टेयर में ही धान की रोपनी हो सकी है.

इसी तरह मक्के की खेती पलामू के प्रमुख फसलों में से एक है. सरकारी लक्ष्य के मुताबिक 26 हजार 680 हेक्टेयर में मक्का की खेती होनी थी, लेकिन इसके विरुद्ध 18 हजार 758 में ही खेती हुई है. दलहन का 44 हजार 872 के विरुद्ध मात्र 28 हजार 105, तेलहन का 2640 हेक्टेयर के विरुद्ध 1436 हेक्टेयर में खेती हुई है. जून में औसत वर्षापात 152.4 मिमी है, लेकिन इसके विरुद्ध मात्र 40.6 मिमी बारिश हुई. जुलाई में 344.7 मिमी के विरुद्ध 151.6 मिमी बारिश हुई है.

पांच अगस्त तक के जो आंकडे हैं, उसके मुताबिक पलामू में 46.1 मिमी बारिश हुई है. प्रशासन ने तय किया है कि यदि 15 अगस्त तक पर्याप्त बारिश होती है तो किसानों को श्रीविधि के तहत खेती करने की सलाह दी जायेगी.

1967 से भी भयावह स्थिति

किसान श्रीकांत मिश्र का कहना है कि बारिश नहीं होने के कारण बिचड़ा भी खराब हो गया. अब बारिश हो भी जाती है तो इसका फायदा नहीं मिलेगा. इस बार की स्थिति 1967 के अकाल से भी भयावह लग रही है, तो उस समय तो मक्के की खेती हुई थी, लेकिन इस बार वह भी मारा गया.

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