रांचीः झारखंड राज्य विद्युत बोर्ड में हुए मीटर बॉक्स और केबल खरीद में हुई वित्तीय गड़बड़ी में शामिल अधिकारियों के खिलाफ निगरानी ब्यूरो को प्राथमिकी दर्ज करने की अनुमति सरकार से नहीं मिल रही है.
मामले की जांच पूरी कर निगरानी गड़बड़ी में शामिल अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के लिए सरकार से करीब 24 बार अनुरोध कर चुकी है. निगरानी एसपी विपुल शुक्ला की ओर से सरकार को कई बार रिमाइंडर भी भेजा गया है, लेकिन अब तक निगरानी को गड़बड़ी में शामिल लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की अनुमति नहीं मिली है. इस वजह से निगरानी ने प्रारंभिक जांच पूरा करने के बाद आगे की जांच भी छोड़ दी है. निगरानी के अधिकारियों का तर्क है सरकार से जब तक प्राथमिकी दर्ज करने की अनुमति नहीं मिल जाती, तब तक आगे की जांच नहीं की जा सकती है.
सरकार के पास प्राथमिकी का प्रारूप तक तैयार कर भेजा गया है. प्राथमिकी दर्ज करने की अनुमति नहीं मिलने के कारण गड़बड़ी में शामिल अधिकारी साक्ष्य तक नष्ट करते जा रहे हैं. इसकी भी जानकारी निगरानी ने सरकार को दे दी है. निगरानी के अधिकारियों के मुताबिक जांच के दौरान पाया गया कि हजारीबाग, दुमका, जमशेदपुर और मेदिनीनगर में मीटर और केबल खरीद मामले में वित्तीय गड़बड़ी हुई है.
मनमाने ढंग से मीटर बॉक्स और केबल की खरीदारी हुई. यह खरीदारी वर्ष 2007 से लेकर वर्ष 2009 के बीच हुई थी. इससे सरकार को करीब 13 करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान हुआ. जांच में प्रथम दृष्टया इस बात की पुष्टि हुई कि इस वित्तीय गड़बड़ी में झारखंड राज्य विद्युत बोर्ड के एक पूर्व चेयरमैन सहित अन्य लोगों वित्तीय गड़बड़ी में शामिल हैं.