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अपर बाजार की पांच किताब दुकानों में कोतवाली पुलिस ने मारा छापा, असली पुस्तक की फोटाे कॉपी कर बिक्री कर रहे थे दुकानदार, दर्ज हुआ मामला

रांची : असली पुस्तक की फोटोकॉपी कर उसे बेच रहे दुकानदारों के खिलाफ मंगलवार की दोपहर कोतवाली पुलिस ने कार्रवाई की. यह कार्रवाई पुस्तकों के लेखक की शिकायत पर की गयी है. प्रशिक्षु डीएसपी सुमित कुमार के नेतृत्व में एक टीम ने अपर बाजार के सरस्वती मार्केट में छापामारी कर फोटोकॉपी वाली पुस्तकों को जब्त […]

रांची : असली पुस्तक की फोटोकॉपी कर उसे बेच रहे दुकानदारों के खिलाफ मंगलवार की दोपहर कोतवाली पुलिस ने कार्रवाई की. यह कार्रवाई पुस्तकों के लेखक की शिकायत पर की गयी है. प्रशिक्षु डीएसपी सुमित कुमार के नेतृत्व में एक टीम ने अपर बाजार के सरस्वती मार्केट में छापामारी कर फोटोकॉपी वाली पुस्तकों को जब्त किया़ इस संबंध में कोतवाली थाना में कॉपी राइट एक्ट, भादवि की धारा – 420 के तहत प्राथमिकी दर्ज की गयी है़.

मुख्य रूप से झारखंड की भाषा एवं बोली, जेपीएससी की तैयारी के लिए लिखी गयी नागपुरी पुस्तक, उच्च विद्यालय शिक्षक नियुक्ति से संबंधित सहित पांच से अधिक पुस्तकों की फोटोकॉपी करा कर उसे कम दामों में बेचा जा रहा था. पुस्तकों की फोटोकॉपी सरस्वती मार्केट (मारवाड़ी स्कूल के पीछे) स्थित दुकान ज्ञान गंगा, बुक प्वाइंट, फार्म सेंटर (शिवांगन प्रकाशन), गुप्ता बुक सेंटर तथा सफल प्रकाशन नामक दुकान में बेची जा रही थी.

इन पुस्तकों के लेखक डॉ बीपी केसरी, डॉ सविता कुमारी, डॉ उमेश नंद तिवारी, डॉ गिरिधारी राम गंझू, डॉ शकुंतला मिश्रा व डॉ राम प्रसाद हैं. असली पुस्तक की फोटोकॉपी बेचे जाने की जानकारी जब लेखिका डॉ शकुंतला मिश्रा व डॉ गिरिधारी राम गंझू को हुई, तो उन्होंने इसकी जानकारी कोतवाली पुलिस को दी. कोतवाली पुलिस ने मामले काे गंभीरता से लेते हुए छापेमारी शुरू की और सभी दुकानों से असली पुस्तकों की फोटोकॉपी जब्त की. इधर, लेखिका डॉ शकुंतला मिश्रा व लेखक डॉ गिरिधारी राम गंझू ने बताया कि असली पुस्तक नहीं बिकने के कारण उनकी रॉयल्टी मारी जा रही थी. उन्हें लगा कि इतनी उपयोगी पुस्तक क्यों नहीं बिक रही है़.

उन्होंने छानबीन शुरू की, तो इसका असली कारण पता चला. इस संबंध में आकाशवाणी की उदघोषिका सह लेखिका शकुंतला मिश्र ने कोतवाली थाना में प्राथमिकी दर्ज करायी है़ लेखक वीरेंद्र कुमार महतो के नागपुरी भाषा व्याकरण एक अध्ययन पुस्तक के भी कई अंश सफल प्रकाशन द्वारा छापा गया था. इस मामले में उन्हेांने सफल प्रकाशन प्रबंधन से पहले भी आपत्ति दर्ज करायी थी़

इन पुस्तकों की फोटोकॉपी बेची जा रही थी
नागपुरी सदानी व्याकरण व अंगना नामक पुस्तक को बुक प्वाइंट दुकान में नागपुरी व व्याकरण भाषा व साहित्य के नाम से बेचा जा रहा था. सफल प्रकाशन दुकान द्वारा नागपुरी सदानी व्याकरण पुस्तक को नागपुरी भाषा साहित्य व व्याकरण के नाम से प्रतिलिपि बना कर बेचा जा रहा था़ उसी प्रकार ज्ञान गंगा नामक दुकान में नागपुरी (जेनरल एंड सब्सिडियरी स्नातक प्रथम वर्ष) के नाम से नागपुरी पद-गद्य संकलन झिकोर की प्रतिलिपि बेची जा रही थी़ गुप्ता बुक दुकान में संयुक्त इंटरमीडिएट स्तरीय मुख्य प्रतियोगिता परीक्षा नागपुरी गद-पद्य संग्र्रह के नाम से नागपुरी सदानी व्याकरण तथा वनफूल नामक पुस्तक की प्रतिलिपि तथा शिवांगन पब्लिकेशन रांची के संचालक द्वारा व्यावसायिक लाभ के लिए अवैध रूप से नागपुरी साहित्य कर इतिहास नामक पुस्तक की प्रतिलिपि बेची जा रही थी़.

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