इससे पूर्व एमीकस क्यूरी अधिवक्ता हेमंत कुमार सिकरवार ने खंडपीठ को बताया कि कुंदन पाहन कुख्यात नक्सली है और उस पर दर्जनों मुकदमा दर्ज है. वह पुलिसकर्मियों, जनप्रतिनिधियों व आम लोगों की हत्या का आरोपी है. इस तरह के आरोपी को समारोहपूर्वक सरेंडर कराया जाता है आैर लाखों रुपये सरेंडर पॉलिसी के तहत दिये जाते हैं.
एमीकस क्यूरी ने कहा कि कुंदन पाहन को दिया गया पैसा, जनता का पैसा है. पैसे का यह दुरुपयोग है. जो पैसा नक्सलियों को सरेंडर करने के नाम पर दिया जा रहा है, वह राशि पीड़ितों को दी जानी चाहिए. पीड़ितों को मुआवजा नहीं मिल रहा है. ऐसी परिस्थिति में युवा दिग्भ्रमित होकर भटक भी सकते हैं. राज्य सरकार की ओर से एमीकस क्यूरी की दलील का विरोध करते हुए कहा गया कि नक्सली सरेंडर पॉलिसी को केंद्र सरकार सेे मंजूरी मिली हुई है. वह कानूनी रूप से सही है. उल्लेखनीय है कि नक्सली कुंदन पाहन के सरेंडर मामले को हाइकोर्ट ने गंभीरता से लेते हुए उसे जनहित याचिका में तब्दील कर दिया था.