अपना भवन नहीं रहने के कारण 100 छात्राओं की जगह मात्र 62 छात्राओं का हुआ नामांकन
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देसरी कस्तूरबा विद्यालय को छह वर्षों में भी अपना भवन नहीं
अपना भवन नहीं रहने के कारण 100 छात्राओं की जगह मात्र 62 छात्राओं का हुआ नामांकन दो शौचालयों में एक ही चालू, पेयजल के नाम पर मात्र एक ही चापाकल चालू देसरी : कस्तूरबा गांधी बालिका आवासीय विद्यालय प्रखंड देसरी का स्थापना वर्ष 2009 में हुआ. स्थापना के समय उसे कन्या विद्यालय, देसरी में संचालित […]
दो शौचालयों में एक ही चालू, पेयजल के नाम पर मात्र एक ही चापाकल चालू
देसरी : कस्तूरबा गांधी बालिका आवासीय विद्यालय प्रखंड देसरी का स्थापना वर्ष 2009 में हुआ. स्थापना के समय उसे कन्या विद्यालय, देसरी में संचालित किया गया, पर वहां विद्यार्थियों की अधिक संख्या होने के कारण वर्ग संचालन में परेशानी होती थी, जिसे एक माह में ही प्रखंड के उफरौल में संचालित बीआरसी के भवन में शिफ्ट कर विद्यालय का पठन-पाठन प्रारंभ किया गया, जो अब तक बीआरसी के भवन में ही संचालित है.
दो कमरों में ही रह रही हैं छात्राएं: छह वर्ष बीत गये, पर कस्तूरबा विद्यालय को अपना भवन नसीब नहीं हुआ. अपना भवन नहीं रहने के कारण 100 छात्रा की जगह मात्र 62 छात्राओं का नामांकित है. साथ ही छात्राओं को खेल-कूद के लिए भी कोई जगह नहीं है. दो शौचालय में एक ही चालू है तथा पेयजल व अन्य उपयोग के लिए मात्र एक ही चापाकल है, जो कि दूषित पानी देता है. बीआरसी के मात्र दो कमरों में ही सभी छात्राओं के रहने की विवशता है.
पढ़ने के लिए जाना पड़ता है आधा किमी दूर के विद्यालय में : इन छात्राओं को पढ़ाई करने के लिए बीआरसी भवन से आधा किलोमीटर दूर स्थित आदर्श मध्य विद्यालय, उफरौल में जाना पड़ता है. इस कारण नामांकित 62 छात्रा में मात्र 49 छात्राएं ही विद्यालय में रहती हैं तथा शेष घर चली जाती हैं. वहीं, बीआरसी में कस्तूरबा विद्यालय संचालित होने से कार्यालय में शिक्षकों की बैठक, आवासीय प्रशिक्षण कार्य एवं शिक्षा विभाग से संबंधित अन्य कार्यक्रम आयोजित करने में परेशानियों का सामना करना पड़ता है.
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