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पेयजल के लिए तरस रहे क्षेत्र के लोग

अफसोस. लाखों की लागत से बना जलमीनार पड़ा बेकार, नहीं मिल रहा योजना का लाभ शुद्ध पेयजल मुहैया कराने के उद्देश्य से पीएचइडी ने सात साल पहले स्थानीय बीएन इंटर महाविद्यालय भपटियाही परिसर में 30 लाख की लागत से जलमीनार का निर्माण कराया था. अब यह जलमीनार शोभा की वस्तु बन कर रह गयी है. […]

अफसोस. लाखों की लागत से बना जलमीनार पड़ा बेकार, नहीं मिल रहा योजना का लाभ

शुद्ध पेयजल मुहैया कराने के उद्देश्य से पीएचइडी ने सात साल पहले स्थानीय बीएन इंटर महाविद्यालय भपटियाही परिसर में 30 लाख की लागत से जलमीनार का निर्माण कराया था. अब यह जलमीनार शोभा की वस्तु बन कर रह गयी है.
सरायगढ़ : लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग की शुद्ध पेयजल आपूर्ति योजना मुख्यालय सहित ग्रामीण क्षेत्रों में सफल नहीं हो पा रही है. लोगों को शुद्ध पेयजल मुहैया कराने के उद्देश्य से पीएचइडी द्वारा सात वर्ष पूर्व स्थानीय बीएन इंटर महाविद्यालय भपटियाही परिसर में 30 लाख की लागत से जलमीनार का निर्माण कराया गया, लेकिन उक्त मीनार शोभा की वस्तु बन कर रह गयी है. जलमीनार निर्माण के समय लोगों को उम्मीद जगी थी कि प्रखंड मुख्यालय सहित आसपास क्षेत्रों में आयरन मुक्त पेयजल नसीब होगा,
लेकिन आलम यह है कि इतनी बड़ी राशि खर्च होने के बाद भी यहां के लोग दूषित(लौह युक्त) पानी पीने को विवश हैं, जबकि स्वच्छता एवं पेयजल सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता में शामिल है. यह जल मीनार प्रखंड की कुव्यवस्था का ज्वलंत उदाहरण बन कर रह गया है.
बेकार पड़ी है जलमीनार : गौरतलब हो कि जल मीनार निर्माण के बाद एक सप्ताह तक लोगों को शुद्ध पानी की आपूर्ति की गयी, लेकिन इसके बाद से पानी की आपूर्ति बंद है. विभाग द्वारा बीच-बीच में दिखावे के लिए कभी कभार जल आपूर्ति की रस्म अदायगी भी की जाती रही, लेकिन फिलवक्त लोगों के लिए यह जलमीनार सफेद हाथी के समान साबित हो रहा है. जल मीनार के देखभाल करने के लिए पीएचइडी विभाग के कर्मी भी नियुक्त है. इसके नाम पर प्रत्येक माह हजारों की राशि का बंदर बांट गुपचुप तरीके से किया जा रहा है, लेकिन स्थानीय लोगों को एक बूंद भी शुद्ध पेयजल नसीब नहीं हो पा रहा है. इसका खामियाजा लोगों को भुगतना पड़ता है. यहां तक कि संवेदक द्वारा 2.5 किलोमीटर की परिधि में लोहे का पाइप बिछाना था, लेकिन मात्र एक किलोमीटर में पाइप बिछा कर छोड़ दिया गया. तीन-चार जगह पानी पीने के लिए स्टेंड पोस्ट के साथ जम मीनार में विभिन्न प्रकार के संयंत्र ट्रांसफॉर्मर व जेनरेटर लगाये गये. वहीं शुद्ध पेयजल के लिए लाया गया आयरन रिमुवल प्लांट मशीन नहीं लगाया गया,
जो आज भी कॉलेज परिसर में बेकार पड़ा हुआ है तथा जंग की भेंट चढ़ चुका है. जबकि लोहे का पाइप प्रखंड मुख्यालय, पीएचसी, कोसी निरीक्षण भवन, भपटियाही बाजार सहित अन्य जगहों पर लगाया जाना था.
दस हजार गैलन की क्षमता है जलमीनार को : इस जल मीनार की क्षमता 10 हजार गैलन आपूर्ति की है. जिसके लिये विद्युत सप्लाई के लिए अलग से ट्रांसफॉर्मर भी लगाया गया है तथा मोटर पंप की सुविधा भी उपलब्ध करायी गयी है. इसके बावजूद जल मीनार से शुद्ध पेयजल की आपूर्ति बंद है और इसके रख-रखाव तथा अन्य मदों में राशि निकासी का खेल जारी है. इसके कारण प्रखंड क्षेत्र की हजारों की आबादी आयरन युक्त दूषित पानी पीने को विवश है, जबकि सरकार फाइलों में जल मीनार चालू है.
जांच हो, तो बड़े घोटाले का हो सकता है परदाफास
ग्रामीण व जन प्रतिनिधियों का कहना है कि शुद्ध पेयजल योजना का लाभ आम लोगों को नहीं मिलने से विभागीय उदासीनता की पोल खुल रही है. इसके आय व्यय के नाम पर प्रत्येक माह हजारों रुपये की बंदर बांट गुपचुप तरीके से किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि अगर किसी निष्पक्ष एजेंसी से इसकी जांच करायी जाये, तो एक बड़े घोटाले का मामला उजागर हो सकता है. वहीं पीएचसी प्रभारी डॉ राम निवास प्रसाद का कहना है कि यह कोसी का पिछड़ा इलाका है. लौह युक्त पानी प्रचुर मात्रा में रहने के कारण लोग विभिन्न प्रकार के जल जनित बीमारी के चपेट में आ रहे हैं. जिसके कारण उनमें डायरिया, टाइफाइड, घेंघा, जाउन्डिस सहित अन्य पेट जनित रोगों का शिकार होना पड़ता है.
गृह जल संयोजन के लिए विभाग द्वारा एक सप्ताह के अंदर पाइप लाइन के बीच सभी निकटवर्ती हरेक घरों को मुफ्त पेयजल की सुविधा उपलब्ध करायी जायेगी. पूर्व में संवेदक द्वारा बिछाये गये पाइप कार्य को आधा अधूरा ही छोड़ दिया गया. इस कारण स्थानीय लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. संवेदक के वाटर रिमूवल प्लांट सामग्री कॉलेज परिसर में रखा हुआ है. समस्या से जल्द ही निजात दिलाया जायेगा.
राजू कुमार चौधरी, एसडीओ पीएचइडी

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