शॉर्टकट में विशेष लाभ, शायद यही वजह है कि छात्र-छात्रएं परीक्षा की तैयारी गेस पेपर के सहारे टिकी है. विगत एक दशक में गेस पेपर की मांग लगातार बढ़ी है. खास कर 10वीं और 12वीं के छात्र-छात्राओं की सफलता की नींव गेस पर टिक गयी है. इसे अंधविश्वास कहे या अतिविश्वास, छात्रों की पसंद ने गेस पेपरों एक बड़ा बाजार खड़ा कर दिया है.
कोचिंग में पढ़ते हों या विद्यालय की पढ़ाई पर निर्भर हो, परीक्षा आने के छह माह पहले ही गेस खरीदना शुरू कर देते हैं. परीक्षा नजदीक आते ही उनकी पूरी निर्भरता सिलेबस की किताबों और तैयार नोट्स से हट कर गेस पेपर पर हो जाती है. अभी से बाजार में कई कंपनियों के गेस आ गये हैं. उनकी बिक्री भी शुरू हो गयी है. क्या वाकई गेस सफलता और ज्ञान की कुंजी है. इस सवाल पर जानकार मानते हैं कि गेस से परीक्षा पर निर्भरता ठीक उस लॉटरी के समान है. इसमें जीत और हार दोनों है. सतही ज्ञान गेस से कभी भी संभव नहीं है. साथ ही गेस के भरोसे यदि अच्छे अंक आ जाते हैं, तब भी अगले वर्ग में छात्र को परेशानियों का सामना करना पड़ता है. गेस तब पढ़ें, जब सिलेबस की किताब की तैयारी पूरी हो.